भारत के अग्रणी credit bureau bsf high mark ने आज ‘How India Lands, FY 2021’ रिपोर्ट को जारी किया है, भारत में retail, microfinance और commercial credit में समग्र ऋण डेटा पर आधारित इस रिपोर्ट में कोविड-19 के प्रभावों का भी आकलन किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 21 तक भारत में कर्ज बाजार का कुल आकार 156.9 लाख करोड़ रुपये का था, जो FY वित्त वर्ष 17 से वित्त वर्ष 21 तक 100% की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले पांच वर्षों में खुदरा, सूक्ष्म ऋण और वाणिज्यिक कर्ज पोर्टफोलियो में क्रमशः 91%, 157% और 93% की वृद्धि देखी गई है। भारत में कुल कर्ज में खुदरा और वाणिज्यिक उधारी का 49% योगदान है, जबकि माइक्रोफाइनेंस या सूक्ष्म वित्त की कुल कर्ज में 2% की हिस्सेदारी है।
प्रमुख लोन श्रेणियों का प्रदर्शन
How India Lands ने अपनी रिपोर्ट में रिटेल लेंडिंग सेगमेंट में प्रमुख लोन श्रेणियों को कवर किया है –
• समग्र व्यक्तिगत लोन पोर्टफोलियो में मूल्य के आधार पर 2.3 गुणा की वृद्धि और FY 2017 से वित्त वर्ष 2021 तक मात्रा में 3.8 गुणा वृद्धि देखी गई। वहीं छोटे आकार के व्यक्तिगत कर्जों में मूल्य के हिसाब से 3 गुणा की और मात्रा के हिसाब से 11.5 गुणा की वृद्धि देखी गई।
• क्रेडिट कार्ड्स वर्ग में वित्त वर्ष 17 से FY 20 तक नए कार्ड की उत्पत्ति में 2.4 गुणा का इजाफा देखा गया। हालांकि वित्त वर्ष 21 में इसमें गिरावट दर्ज की गई।
• टू व्हीलर लोन में मूल्य के आधार पर उत्पत्ति में 1.8 गुणा वृद्धि और मात्रा के आधार पर उत्पत्ति में 1.2 गुणा का इजाफा दर्ज किया गया।
• ऑटो लोन पोर्टफोलियो में वित्त वर्ष 17 से FY 2019 तक मूल्य के आधार पर 23% की वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद FY 20 और वित्त वर्ष 21 में विकास दर में गिरावट दर्ज की गई।
• इसी अवधि के दौरान होम लोन पोर्टफोलियो में मूल्य के आधार पर 32% की वृद्धि और 15% की वृद्धि देखी गई। मूल्य के हिसाब से किफायती होम लोन में 17% और मात्रा के हिसाब से 6% की वृद्धि हुई।
• बिजनेस लोन में वित्त वर्ष 17 से वित्त वर्ष 2020 तक मूल्य के आधार पर उत्पत्ति में 17% की वृद्धि देखी गई। वहीं वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 21 तक मात्रा के आधार पर उत्पत्ति में लगभग 2 गुणे की दर से वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।
सीआरआईएफ हाई मार्क के एमडी और सीईओ नवीन चंदानी ने कहा, हमारी रिपोर्ट, हाउ इंडिया लेंड्स – वित्त वर्ष 21, वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2021 तक भारत में लेंडिंग ट्रेंड्स को सामने लाने का एक प्रयास है। उधार देने वाले संस्थान और नीति निर्माता रिपोर्ट से लाभान्वित हो सकते हैं और अनुकूल ऋण देने के माहौल को बढ़ावा देने के लिए सहयोग कर सकते हैं।
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