दिल्ली में हुई 9 साल की बच्ची से रेप की घटना ने एक बार फिर से राज्यों की सरकारों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। एक तरफ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी दिल्ली में हुए रेप पीड़ित के घर पहुंचकर घर वालों को सांत्वना देते हैं और न्याय के आश्वासन भी दिलाते हैं। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री भी यही काम करते नजर आते है।
साथ भी पीड़ित परिवार को 10 लाख की आर्थिक सहायता भी देते हैं। हमेशा ऐसा देखा गया है कि जब भी ऐसी कोई घटना सामने आती है तो सारे नेता अपनी-अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लग जाते हैं, लेकिन और दिनों में शायद इन्हें पता भी नहीं होता है कि ऐसी कुछ घटनाएं भी देश में होती होंगी।
बहरहाल देश मे बलात्कार की बात की जाए तो क्राइम रिपोर्ट 2019 (NCRB) के हिसाब से सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं राजस्थान में हुई हैं, जबकि 2015 से 2018 के बीच बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है। सरकारों की नाकाम कोशिशें साफ दिखाई दे रहीं हैं।
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राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर का तर्क है कि देश भर में बलात्कार मामलों में 37 प्रतिशत मामले झूठे पाए गए। इसलिए राजस्थान में तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था सरकार ने लागू कर दी है। अब थानों में लगातार पंजीकरण बढ़ रहा है। राजस्थान के बाद दूसरे नम्बर पर 3065 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश के थे। इसके बाद मध्यप्रदेश तीसरे नम्बर 2485 बलात्कार मामलों के साथ था। इसके बाद महाराष्ट्र में 2229 ,जबकि हरियाणा में 1480 मामले हुए है।
राजस्थान में लाकडाउन में 30 प्रतिशत अपराध और बढ़ गए। पिछले जून के महीने में ही कुल 561 मामले दर्ज हुए। इस साल 3022 मामले आ चुके हैं। इसमें की 761 मामलों को पुलिस ने झूठा करार दे दिया है। पिछले 3 सालों में अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं।
2021 में अकेले अनुसूचित जाति के खिलाफ 276 मामले दर्ज गए हैं जबकि 76 अनुसूचित जनजाति के खिलाफ है। इसी तरह 2020 और 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ क्रमवार 223 और 274 मामले अपराध के हुए हैं। साथ ही अनुसूचित जनजाति के खिलाफ 2020 और 2019 में क्रमशः60 और 51 मामले सामने आए हैं।
NCRB रिपोर्ट के अनुसार एक साल में देश मे कुल 30868 मामलें दर्ज हुए जो बलात्कार के थे। जिसमें 94 प्रतिशत मामले परिचितों के खिलाफ थे। अब ये कहना गलत नही होगा कि अपराध की शुरुआत घर से ही होती है। अब महिलायें ,बच्चियां, लडकियां घर में ही महफूज नहीं हैं।