भारत का पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ देश की जनता सड़कों पर है। भारी अस्तर पर सेना के खिलाफ लोग विरोध कर रहे हैं। सेना और जनता के बीच झड़प के कारण अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 40 लोग घायल बताए जा रहे हैं। 20 फरवरी को हुए भारी आंदोलन में सेना की गोलियों से दो लोगों की मौत हो गई है और 40 लोग घायल बताए जा रहे हैं। अब खबर ये भी है कि म्यांमार की सेना जनता के साथ वहां के पत्रकारों का भी दमन कर रही है।
सेना के खिलाफ जनता का प्रदर्शन और म्यांमार की सेना का क्रूरता कवर कर रहे कई पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। अब तक 6 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। इनपर सार्वजनिक आदेश कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है। इस कानून के तहत तीन साल तक की कैद हो सकती है। म्यांमार में तख्तापलट के बाद से कम से कम 20 से अधिक पत्रकारों को हिरासत में लिया जा चुका है।
इनमें एसोसिएटेड प्रेस, म्यांमार नाउ, म्यांमार फोटो एजेंसी, 7 डे न्यूज़, जी क्वीट ऑनलाइन और एक फ्रीलांसर शामिल है। एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकार थीन जॉ के वकील ने कहा कि छह पत्रकारों को एक ऐसे कानून के तहत आरोपित किया गया है जो जनता के बीच भय पैदा करने वाले किसी भी सख्श को दंडित करता है। बता दें कि, सेना अपनी मनसा को अंजाम दे सके और पत्रकारों का दमन आसानी से कर सके इसलिए पिछले महीने ही ने सेना ने इस कानून में संशोधन किया था ताकि दो साल की अधिकतम कारावास की अवधि को बढ़ाया जा सके।
म्यांमार मेेें सेना के प्रति लोगों का विरोध बढ़ता जा रहा है। इस बात से परेशान सेना के अधिकारियों ने जनता की गिरफ्तारी पर जोर देना शुरू कर दिया है। हर दिन अधिक से अधिक गिरफ्तारी हो रही है। वहीं रविवार को हुई कार्रवाई में कम से कम 18 लोग मारे गए है और 30 से अधिक लोग घायल हुए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक एक हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
गौरतलब है कि, 1 फरवरी को पूरे म्यांमार में एक साल के लिए इमरजेंसी घोषित की गई थी। यहां पर सेना ने वास्तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को गिरफ्तार कर लिया है। देश में तख्तापलट हुआ है। तख्तापलट का विरोध देश की जनता के साथ इंटरनेशनल लेवल पर भी किया जा रहा है।
बता दें कि, म्यांमार में लंबे समय से राज करने वाली आर्मी ने फिर जनता को अपना गुलाम बना लिया है। साल 1962 से लेकर साल 2011 तक आर्मी की यहां पर सत्ता थी। साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में ‘नागरिक सरकार’ बनी। जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला।एक बार फिर जनता देश को सेना के चंगुल से छुड़ाने के लिए सड़कों पर है।