अहिंसा के पुजारी और देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 151वी जयंती है। इनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्तूबर 1864 में हुआ था। इनकी माता का नाम पुतली बाई गांधी था और पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था। और इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। गांधी जी के चार बेटे थे, हरिलाल,मनिलाल, रामदास, देवदास गांधी।
भारत को अंग्रेजों से छुटकारा दिलाने में गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाया था इसलिए इन्हें अहिंसा का पुजारी कहते हैं। अपने विचारो और दृढ़ संकल्प से इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी।
गांधी जी के विचार हमेशा जीवन में सकारात्मक भाव पैदा करते हैं। तो इनकी जयंती पर हम आप को गांधी के 10 विचार बताएंगे
“जो हम सोचते हैं हम वही बन जाते हैं”

गांधी जी का मानना था कि हार-जीत हमारे मन में होती है। यदि हमने सोच लिया की हम हार जाएंगे तो काम को करने से पहले ही हार जाते हैं। यदि दिल में सकारात्मक भाव लेकर काम किया जाए तो जीत निश्चित होती है।
“कभी हार ना मानो और लगातार प्रयास करते रहो”

आजादी की लड़ाई में गांधी जी को कई बार जेल जाना पड़ा। पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी लगातार प्रयास करते रहे। इसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार प्रयास करना होगा।
“आपके कर्म आपकी प्राथमिकता को दर्शाता है”

अगर हमारे जीवन का लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है और हम उसको पूरा करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं। तो हमें अपनी प्रथमिकता के बारे में सोचना होगा। इसका अर्थ यह है कि हम अपने लक्ष्य को लकेर गंभीर नहीं हैं। आपको अपनी प्राथमिकता अपने लक्ष्य को देनी चाहिए।
“लक्ष्य का रास्ता भी लक्ष्य जैसा सुंदर होता है”

महात्मा गांधी एक मजबूत चरित्र वाले आदमी थे। वह भारत की आजादी के लिए ऐसी कोई भी विधी नहीं अपनाना चाहते थे,जिनसे उनकी अंतरआत्मा को ठेस ना पहुंचे। इसीलिए उन्होंने भारत को आजाद करवाने के ले हिंसा का सहारा ना लेते हुए। अहिंसा का सहारा लिया था।
“ईमानदारी से ना कहना बेइमानी से हां कहने से कहीं बेहतर है”

महात्मा गांधी का कहना था कि, दूसरों को खुश करने के लिए लोग अक्सर झूठ बोल देते हैं। उस झूठ को छुपाने के लिए और झूठ कहते हैं इससे अच्छा है कि एक बार बोलो सत्य बोलो।
“शांति आपको अपने अंदर से ही मिलती है”

हर मुसिबत का हल आप को अपने भीतर ही मिलेगा शांति आपके अंदर है। खुद को दूसरों की नजरों से देखना बंद करे खुद में यकीन करे।
“सदभावना से किया गया काम आपको खुशी देगा।”

इस दुनिया में खुशी और सदभावना दुलर्भ होती जा रही है। महात्मा गाधी जी का कहना था कि हमें अपने सदभावना के विचारों से और अपने कार्यों को संतुलित रखना चाहिए। इसी से हमें सच्ची खुशी मिलती है।
“माफ करना मजबूत लोगों की निशानी है”

माफ करना सबसे कठिन लगता है। पर जो इंसान किसी को माफ कर देता है वो सबसे महान इंसान होता है। सुखी-शांति से रहना है तो दूसरों की गलतियों को माफ कर देना चाहिए।
“मानसिक शक्ति शारीरिक शक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण है”

शक्ति के विभिन्न रुप हो सकते हैं। जीवन में मजबूत दिमाग का होना मजबूत शरीर से ज्यादा जरूरी है। इच्छाशक्ति वाला आदमी पहाड़ को गिरा सकता है। भले ही उसके पास भीम या हनुमान जैसी ताकत ना हो।
“अगर आप अपनी जिंदगी में परिवर्तन करना चाहते हैं तो खुद को बदले”

गांधी जी ने कहा था कि हम अपने वांछित गुणों को दूसरों में देखने का प्रयास करते हैं। असल में हम सभी अंदर से बहुत अदभुत और सुंदर हैं।