उत्तर प्रदेश के अवैध रेत खनन मामले की आंच अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचती दिख रही है। सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ भी जांच की जाएगी। बता दें कि साल 2012 से 2017 के बीच खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के ही पास था, जो उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे।
अखिलेश के साथ-साथ उस अवधि में जितने भी मंत्री थे, सभी जांच के दायरे में आएंगे। यूपी के हमीरपुर में हुए अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने शनिवार को तत्कालीन डीएम बी. चन्द्रकला के लखनऊ आवास पर छापा मारा। टीम ने घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 101 में सीबीआई की टीम ने छापेमारी की।
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अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी सीबीआई इस सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर 2016 से खनन घोटाले की जांच चल रही है। आरोप है कि रोक के बावजूद अधिकारियों और मंत्रियों की मिलीभगत से रेत खनन के ठेके दिए गए।
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सीबीआई सूत्रों के मुताबिक खनन घोटाले में आईएएस अफसर बी. चन्द्रकला के अलावा आदिल खान, तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन क्लर्क राम आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी (हमीरपुर), संजय दीक्षित, खनन क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार आरोपी हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिए हैं जांच के आदेश
दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को अवैध खनन घोटाले की जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को यूपी के 5 जिलों- शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, देवरिया और सिद्धार्थ नगर में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच का आदेश दिया।
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अखिलेश के राज में हमीरपुर में तैनात थीं बी. चंद्रकला
गौरतलब है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार में बी. चंद्रकला की पोस्टिंग हमीरपुर में बतौर जिलाधिकारी हुई थी। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग खनन के पट्टे कर दिए थे। हालांकि, उस दौरान ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों को स्वीकृत करने का प्रावधान था। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसा किया गया था।