देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। सब्जियों के दाम भी आसमां छू रहे हैं। ऐसे में आम जनता का हाल बेहाल है लेकिन आम जनता के प्रतिनिधियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। दरअसल, एडीआर और नेशनल वॉच (एनईडब्ल्यू) ने सोमवार को विधायकों के आय के विश्लेषण पर आधारित एक डेटा जारी किया है, जिसमें विधायकों की आय का खुलासा हुआ है।  छत्तीसगढ़ के 63 विधायकों की औसत सालाना आय 5.4 लाख रुपये है। औसत की बात करें तो देश का हर विधायक औसतन 24.59 लाख रुपये सालाना कमाता है। इस सर्वे में खास बात ये है कि  ज्यादा पढ़े-लिखे विधायकों की तुलना में कम पढ़े-लिखे विधायकों की आय ज्यादा है। कुल 4,086 विधायकों में से 3,145 विधायकों द्वारा जमा कराए गए स्वघोषित शपथपत्र के मुताबिक, 5वीं से 12वीं क्लास तक पढ़े 33 फीसदी विधायकों की औसत सालाना आय 31.03 लाख रुपये है जबकि 63 फीसदी ग्रैजुएट और उससे ऊपर पढ़े विधायकों की आय 20.87 लाख रुपये है।

कर्नाटक के विधायकों की औसत सालाना आय सबसे ज्यादा एक करोड़ रुपये से अधिक है जबकि छत्तीसगढ़ के विधायकों की औसत आय सबसे कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 941 विधायकों ने अपनी आय का खुलासा नहीं किया, इसलिए उनकी आय का विश्लेषण नहीं हो पाया। ‘घरेलू’ विधायकों की सबसे कम 3.79 लाख  रुपये आय है।

एडीआर के संस्थापक सदस्य जगदीप छोकर ने कहा कि उच्चतर शिक्षा ज्यादा आय की गारंटी नहीं है। उन्होंने बताया कि ज्यादा आय वाले कई विधायक कृषि को अपना पेशा घोषित करते हैं। ‘इसका सबसे बड़ा कारण है कि कृषि से होने वाली आय टैक्स फ्री है और उनको स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ता है कि उनकी आमदनी कहां से हुई है।’

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