मिशन 2019 को लेकर सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी रणनीति को धार देने में जुट गए हैंकोई मुस्लिम पार्टी होने का राग अलाप कर मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में करने की जुगत में हैं तो कोई वक्त-वक्त पर मंदिर का राग अलापकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहा है। विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने को आतुर है, तो बीजेपी उन मुद्दों को तरजीह दे रही है जो चुनाव के दौरान उसके लिए मुफीद साबित हो सकते हैं।
संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने को है ऐसे में उम्मीद इस बात को लेकर की जा रही है कि क्या इस सत्र में ट्रिपल तलाक बिल पास कराने के प्रयास होंगे। क्या विपक्षी पार्टियों का इसमें सहयोग मिलेगा ? दरअसल, ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल ही में कांग्रेस पार्टी के मुस्लिम पार्टी होने का मुद्दा खूब उछला। प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल दागा था कि कांग्रेस खुद को मुस्लिम पार्टी मानती है। कांग्रेस ये बताए कि वो मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं की भी। ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या मॉनसून सत्र में एक बार फिर सरकार ट्रिपल तलाक बिल को पास कराने की कोशिश करेगी। ?
आपको बता दें कि इस बिल में संशोधन की मांग को लेकर विपक्षी पार्टियों की तरफ से अवरोध पैदा किया गया था। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद लोकसभा में तो इस बिल को ध्वनिमत से पास करवा लिया गया था, लेकिन बहुमत ना होने की वजह से राज्यसभा में ये बिल अटक गया था। ऐसे में अब ये देखना होगा कि क्या इस बार मॉनसून सत्र में इस बिल को पास कराने का प्रयास होगा और सबसे महत्वपूर्ण इसमें विरोधी दलों की भूमिका क्या होती है ?
एपीएन ब्यूरो