आज सुबह जब लोग अपने नई दिन की शुरुआत करने के लिए उठे तो सोशल मीडिया, टीवी और अन्य जनसंचार माध्यमों में एक ही न्यूज चल रही थी जिसमें लगातार बताया जा रहा था कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency-NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा 12 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India – PFI) के देशभर में फैले दफ्तरों पर लगातार छापेमारी की जा रही है. इस दौरान 106 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तारी की गई है. पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई अबुबकर की भी गिरफ्तारी की गई है जो केरल से आते हैं.
कहां से हुई गिरफ्तारियां
राज्य | गिरफ्तारी |
केरल | 22 |
महाराष्ट्र | 20 |
कर्नाटक | 20 |
तमिलनाडु | 10 |
असम | 9 |
उत्तर प्रदेश | 8 |
आंध्र प्रदेश | 5 |
मध्य प्रदेश | 4 |
दिल्ली | 3 |
पुडुचेरी | 3 |
राजस्थान | 2 |
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया?
देश में 1992 में हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कई संगठनों का गठन हुआ था, जिनमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया भी इन्ही संगठनों में से एक है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) की शुरुआत 17 फरवरी 2007 को दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों केरल में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक में फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई के विलय के साथ हुई थी तब से ही यह संगठन देशभर में कार्यक्रम आयोजित करवाता है.
नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक में फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई को एक साथ लाने का निर्णय नवंबर 2006 में केरल के कोझीकोड में हुई एक बैठक में लिया गया था. वहीं पीएफआई के गठन की औपचारिक घोषणा 16 फरवरी, 2007 को “एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस” के दौरान बेंगलुरु की एक रैली में की गई थी.
पीएफआई (Popular Front of India) का मुख्यालय पहले केरल के कोझीकोड में बनाया गया था, लेकिन लगातार हो रहे विस्तार के बीच इसके हेड ऑफिस को राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में स्थानांतरित कर दिया गया.
देश में 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद 2001 में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगा दिया गया था. इसके बाद 2007 में तीन संगठनों के विलय के बाद बने पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है. कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है.
पीएफआई की कई शाखाएं भी हैं. इसमें महिलाओं के लिए राष्ट्रीय महिला फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन भी शामिल हैं.
सिमी को भारत सरकार ने एक आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित कर रखा है. सिमी को 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 के हमलों के तुरंत बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा इस प्रतिबंध हटा लिया गया था, लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन ने 6 अगस्त 2008 को राष्ट्रीय सुरक्षा आधार पर सीमि पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा. फरवरी 2019 में, भारत सरकार ने सिमी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत लगे बैन को 1 फरवरी, 2019 से पांच और वर्षों की अवधि के लिए बढ़ा दिया था.
15 साल पहले बने पीएफआई दावा है कि उसकी देश के 23 राज्यों में इकाइयां है. संगठन कहता है कि वो देश में मुसलमानों और दलितों के लिए काम करता है. आर्थिक तौर पर मजबूत होने के लिए यह संगठन मध्य पूर्व ओर खाड़ी के देशों में रहने वाले लोगों ओर संस्थानों से आर्थिक मदद भी मांगता है, जहां से पीएफआई को धन मिलता भी रहता है.
दक्षिण भारत तक सीमित रहने वाले पीएफआई ने पिछले कुछ वर्षों में उत्तर भारत में बड़ी तेजी के साथ विस्तार किया है. दिल्ली में मुख्यालय के स्थानांतरण के बाद से संगठन ने राजधानी दिल्ली सहित इसके आसपास के राज्यों में अपने कैडर को लगातार बढ़ाया हैं.
पीएफआई के बढ़ने का कारण
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक कट्टर विचारधारा वाले संगठन को तौर पर देखा जाता है. वर्तमान समय में पीएफआई का असर देश के 16 राज्यों में है, 15 से भी अधिक मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं, जिनके साथ मिलकर ये काम करता है.
पीएफआई के देशभर में लाखों की संख्या में सदस्य हैं. यही सदस्य संगठन की ताकत हैं. हालांकि पीएफआई दावा करता है कि उसका 23 राज्यों में प्रभाव है. पीएफआई के कार्यकर्ता लगातार असम, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अधिक सक्रिय हैं. पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों के कारण इसे कई राज्यों में प्रतिबंधित करने की मांग लगातार की जा रही है.
पहले भी हुई है छापेमारी
एनआईए की टीम ने 18 सितंबर को भी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 40 ठिकानों पर छापेमारी के बाद चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. इनमें तेलंगाना-आंध्र के दो-दो लोग शामिल थे. बताया जा रहा है कि दोनों राज्यों में 23 से ज्यादा टीमें तलाशी अभियान चला रही हैं.
पीएफआई पर कानपुर हिंसा, आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और धार्मिक कट्टरता फैलाने के आरोप लगते रहे हैं. दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम आंदोलन से लेकर मुजफ्फरनगर, शामली और मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा में भी पीएफआई से तार जुड़े थे.
पीएफआई के उपर मनी लॉन्ड्रिंग का केस
कुछ महीने पहले भारत में धनशोधन के खिलाफ कार्रवाई करने वाली संस्था प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएफआई से जुड़े 22 बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे. इन बैंक खातों में 68 लाख रुपये जमा थे. खातों को फ्रिज करते हुए ईडी ने बताया था कि इन खातों में 30 करोड़ रुपये कैश के तौर पर जमा किए गए थे.
राजनीतिक हत्याओं के आरोप
पीएफआई पर आरोप है कि जब देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो इसके ज्यादातर नेता पीएफआई के साथ जुड़ गए. पीएफआई शुरुआत से ही विवादों में रहा, उस दौरान भी उसपर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और नफरत फैलाने के आरोप लगते रहे.
केरल सरकार द्वारा केरल उच्च न्यायालय में दायर किए गये एक हलफनामें कहा था कि पीएफआई “प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक अन्य रूप में खड़े होने के अलावा कुछ नहीं था”. इस सरकारी हलफनामे में कहा गया है कि पीएफआई कार्यकर्ता हत्या के 27 मामलों में शामिल थे, जिनमें ज्यादातर सीपीएम और आरएसएस के कार्यकर्ता थे, और इसका मकसद सांप्रदायिक था. इसके अलावा केरल में हुई 106 सांप्रदायिक घटनाओं में किसी न किसी रूप में शामिल था.
केरल सरकार ने एक अन्य हलफनामे में उच्च न्यायालय को बताया कि पीएफआई का एक गुप्त एजेंडा “इस्लाम के लाभ के लिए धर्मांतरण को बढ़ावा देकर समाज का इस्लामीकरण, मुद्दों के सांप्रदायिकरण, युवकों की भर्ती और मुस्लिम युवाओं को उन चुनिंदा लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया, जो उनकी धारणा में इस्लाम के दुश्मन हैं” था.
हलफनामे में दोहराया गया कि पीएफआई और उसके पूर्ववर्ती राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) के कार्यकर्ता राज्य में सांप्रदायिक रूप से प्रेरित हत्याओं के 27 मामलों में, हत्या के प्रयास के 86 मामलों और सांप्रदायिक प्रकृति के 106 मामलों में शामिल थे.