मध्यप्रदेश में संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के बाद शिवराज सरकार तो विवादों में है ही मंत्री पद का दर्जा स्वीकार करने वाले बाबा भी विवादों में हैं….सबसे ज्यादा चर्चा और विवाद कंप्यूटर बाबा को लेकर है जिन्होंने शिवराज सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने की घोषणा की थी लेकिन राज्यमंत्री बनते ही उनके सुर बदल गए और वो शिवराज सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगे…… अब कंप्यूटर बाबा एक बार फिर चर्चा में हैं और उसकी वजह है कि राज्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने भोपाल के सरकारी गेस्ट हाउस में ही धूनी रमा दी…..
शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें और चार अन्य संतों को राज्य मंत्री का दर्जा इसलिए दिया था कि वो सरकार के कामकाज में सहयोग करेंगे लेकिन कम्प्यूटर बाबा अब भी तपस्या में लीन हैं…मंगलवार को वो भोपाल पहुंचे तो सरकारी गेस्ट हाउस की छत पर ही धूनी रमा दी…. राज्यमंत्री बनने के बाद भी बाबा का कर्मकांड जारी है….बाबा से पूछा गया कि सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस मिला है तो बाबा बोले- सीएम जवाब देंगे। हमारा काम तप करना है। बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार ने कम्प्यूटर बाबा, पंडित योगेंद्र महंत, स्वामी नर्मदानंद जी, स्वामी हरिहरानंद जी और संत भय्यूजी महाराज को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इनमें से कम्प्यूटर बाबा और पं.योगेंद्र महंत ने नर्मदा घोटाला उजागर करने की घोषणा की थी। वो इस यात्रा को निकालने के लिए पूरी तैयारी भी कर चुके थे। लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही कम्प्यूटर बाबा के सुर बदल गए। अब वे घाटों पर जनजागरण करने की बात कहने लगे हैं…वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार के इस फैसले की लगातार आलोचना कर रहे हैं और सरकारी गेस्ट हाउस में बाबा के धूनी रमाने पर भी चुटकी ले रहे हैं….
वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है और वो सिर्फ आरोपों की राजनीति करती है…दूसरी तरफ बाबाओं का तर्क है कि यदि हम राज्यमंत्री का दर्जा नहीं स्वीकारते तो नर्मदा संरक्षण का काम कैसे आगे बढ़ाते। अब हम कलेक्टरों से अधिकारपूर्वक बात करेंगे। शिवराज सरकार ने नर्मदा के संरक्षण के लिए एक बेहतर काम किया है। उन्होंने संरक्षण समिति में हमें रखा है जिसके तहत राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है और जहां तक शिवराज सरकार की बात है तो उसने तो बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देकर चुनावी साल में मास्टर स्ट्रोक लगा ही दिया है….