उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की राह में लगी योगी सरकार को विपक्षियों ने फिजूलखर्ची के नाम पर घेरा है। राज्य की राजधानी की चकाचौंध विपक्षियों को पसंद नहीं आई। उनका कहना है कि ये पैसे जरूरतमंदों और गरीबों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते थे। बता दें कि उत्तर प्रदेश में आयोजित किए गए इन्वेस्टर मीट का समापन 22 फरवरी को हो गया। मीट में तमाम बड़ी औद्योगिक और राजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं। इस कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने किसी भी प्रकार का कोर-कसर नहीं छोड़ा। लेकिन अब खबर आ रही है कि इस भव्यता में लगभग 65 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। करोड़ों रुपए की ऐसी साज-सजावट अब विपक्षियों को पच नहीं रही और वो योगी सरकार को घेरने में लग गई हैं।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया है कि शहर के सौंदर्यीकरण पर 65 करोड़ से अधिक का खर्च आया। लखनऊ के डीएम कौशल राज शर्मा ने दो दिन के समारोह के दौरान हुए खर्च का ब्यौरा देते हुए कहा कि सम्मेलन के दौरान सबसे ज़्यादा 24 करोड़ 25 लाख का खर्च नगर निगम ने सजावट में किए हैं। वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण जिसने कुल 13 करोड़ 8 लाख की रकम खर्च की. इसके बाद पीडब्लूडी विभाग करीब साढ़े 12 करोड़ खर्च किए। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए बुलाए गए इस सम्मेलन में 65 करोड़ 15 लाख का खर्च अलग-अलग विभागों ने किया है।
इस सूचना के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इतने रुपयों से गरीबों और जरूरतमंदों के लिए कोई काम किया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर जनता की मेहनत की कमाई पानी की तरह बहाना बीजेपी सरकारों में फैशन बन गया है।’ बता दें कि लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित यूपी इनवेस्टर्स समिट में पीएम मोदी, मुकेश अंबानी, अडानी और आनंद महिंद्रा सहित कई उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया था।