पूर्ववर्ती मायावती सरकार के प्रस्ताव आजकल योगी सरकार के अफसरों के प्राथमिकता में शामिल हो रहे हैं। कुछ मामलों में तो ऐसा ही होता दिख रहा है। दरअसल योगी सरकार ने बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती के उस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है, जिसमें माया ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट यानी अपने शासनकाल में बनाए गए पार्कों और मूर्तियों के संरक्षण का अनुरोध किया था।
शासकीय सूत्रों के अनुसार गुजरात चुनाव के नतीजों के एलान के ठीक तीन दिन बाद 22 दिसंबर को सीएम योगी ने मायावती के इस प्रस्ताव को मान लिया। कहा जा रहा है कि बीएसपी ने गुजरात में अपने उम्मीदवार खड़ा कर कांग्रेस को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंचाया है। इसी कारण योगी सरकार मायावती पर मेहरबान होती दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुजरात चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने का इनाम मायावती को उनके शासन काल में बनाए गए पार्कों और मूर्तियों को चमकाकर दिया जा रहा है। गौरतलब है कि बसपा और एनसीपी ने गुजरात के करीब 10 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था।
आपको बता दें कि मायावती ने अखिलेश सरकार से भी इस बाबत बार-बार पत्र लिखा था लेकिन अखिलेश यादव ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था। मायावती ने तब अखिलेश सरकार पर पार्कों और स्मारकों के उपेक्षा का आरोप लगाया था और चिट्ठी लिखकर धमकी दी थी कि इन पार्कों और मूर्तियों की अनदेखी करने पर बहुजन समाज उन्हें सबक सिखाएगा।
बता दें कि इन मूर्तियों में खुद मायावती की भी मूर्ति है। इनके अलावा कांशी राम, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर समेत कई दलित चिंतकों और समाज सुधारकों की भी मूर्तियां लगाई गई हैं। वहां बड़ी संख्या में पत्थर के हाथी भी लगाए गए थे। इसे मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा गया था जिसमें करीब 4500 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। तब समाजवादी पार्टी समेत बीजेपी ने भी इसका विरोध किया था।
हालांकि सरकार के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अगले साल 21 और 22 फरवरी को लखनऊ में होने वाले इन्वेस्टर मीट के लिए शहर के सभी पार्कों और मूर्तियों को चमकाने का आदेश दिया है, ताकि दुनियाभर से आने वाले निवेशकों के दिल-दिमाग में लखनऊ को लेकर एक अच्छी छवि बन सके।
बाबासाहेब की तस्वीर अब हर सरकारी संस्थानों में होगी अनिवार्य
एक अन्य शासनादेश के तहत योगी सरकार ने सभी सरकारी संस्थानों मसलन उत्तर प्रदेश विधानमंडल, सचिवालय, सरकारी दफ्तरों, निगमों व परिषदों के कार्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगाने के लिए निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में यह भी उल्लेख किया गया है कि आंबेडकर के चित्र के नीचे उनकी जन्म तिथि एवं निर्वाण तिथि भी अनिवार्य रूप से अंकित की जाए। यह भी मायावती के पुराने प्रस्ताव का एक हिस्सा है जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तस्वीर या मूर्ति लगाए जाने की बात कही थी। कुल मिलाकर योगी सरकार मायावती पर मेहरबान नजर आ रही है।