BJP MLA Rajeshwar Singh: बीजेपी के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के खाते में एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। डॉ. राजेश्वर सिंह पुलिस और ईडी की नौकरी के बाद विधायक बने थे और अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने का काम किया है। लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से चुने गए बीजेपी विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह एक चर्चित विधायक हैं।
बीजेपी विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह अपने क्षेत्र में बेहतर काम के लिए जाने जाते हैं। वो अपने विधानसभा को सर्वोत्तम क्षेत्र बनाने के संकल्प को लेकर काफी मशहूर हुए थे। अब उनकी वकील बनने की खबर पूरे क्षेत्र के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
BJP MLA Rajeshwar Singh: जीवन में निंरतर प्रयास करते रहने की प्रेरणा देते हैं डॉ. राजेश्वर सिंह
बीजेपी विधायक उम्र को अपना बंधन न बना कर इस उम्र में भी वकालत की पढ़ाई करते हुए वकील बने हैं। उनका जज्बा ऐसा कि उन्होंने न सिर्फ वकालत की पढ़ाई की बल्कि वकील का पद भी हाासिल किया। डॉ. राजेश्वर सिंह की यह उपलब्धि लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रही है। वैसे तो शिक्षा हासिल करने और कुछ सीखकर नया करने की उम्र कभी खत्म नहीं होती।

इसी कड़ी में विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील एक केस की सुनवायी में पहुंचे। केस की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश खुद कर रहे थे। उनकी इस नयी भूमिका को लेकर लोगों में खुशी और उत्साह नजर आया। लोगों का मानना है कि डॉ. राजेश्वर की इस नयी भूमिका का लाभ जनता को मिलेगा।
BJP MLA Rajeshwar Singh: ED में संयुक्त निदेशक के पद से खुद रिटायरमेंट लेकर बने विधायक
डॉ. राजेश्वर सिंह ने ED में संयुक्त निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर विधायक का चुनाव लड़ा और जीता। ED में काम करते हुए उन्होंने कई घोटालों का पर्दाफाश किया था। ईडी में उन्होंने मुख्य रूप से 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवरफ्रंट जैसे चर्चित घोटालों की हकीकत सभी के सामने लायी थी। उन्होंने अवैध कमाई से अर्जित लगभग 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चल-अचल सम्पत्तियों को जब्त कराया।
डॉ. राजेश्वर की सख्त कार्यप्रणाली को देखते हुए प्रभावशाली लोगों ने उनके काम में बाधा पहुंचाने और स्थानांतरित करने की कोशिश की। तब सुप्रीम कोर्ट ने ही उनकी कार्य प्रणाली की प्रशंसा करते हुए वर्ष 2014 में प्रवर्तन निदेशालय में पूर्णतय: समायोजित करने का आदेश दिया था।

1997 में लखनऊ में बतौर क्षेत्राधिकारी (अपराध) और (यातायात) नौकरी शुरू करने वाले डॉ. राजेश्वर ने 10 वर्ष की पुलिस की सेवा में 20 से अधिक कुख्यात अपराधियों को ढेर किया तब उन्हें सुपर कॉप नाम दिया गया। बेहतर कार्य शैली व निष्ठा की वजह से 2005 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक पुस्कार दिया गया।
नौकरी करने से पहले डॉ. राजेश्वर ने धनबाद से माइनिंग में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। फिर नौकरी करते हुए वर्ष 2003 में समाज विज्ञान में परास्नातक किया। इसके बाद मानवाधिकारों की चेतना जगाने और पुलिस-जनता के बीच संवाद को मजबूत करने के लिए वर्ष 2011 में एक शोध पत्र “मानवाधिकार – पुलिस एवं सामाजिक न्याय तैयार किया।
डॉ. राजेश्वर सिंह को विश्वविद्यालय ने ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ की उपाधि दी। ईडी में तैनाती के समय 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के समय वर्ष 2018 में विधि की पढ़ाई पूरी करके एलएलबी की डिग्री हासिल की। इस डिग्री से उनको बहुत से केस सुलझाने में अलग से फायदा मिला। वकालत की डिग्री हासिल कर आज वह विधायक के साथ-साथ एक सम्मानित वकील के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी करने पहुंचे हैं।
BJP MLA Rajeshwar Singh: विधायक रहते हुए किए कई सराहनीय कार्य
डॉ. राजेश्वर पहले से ही इस बात से चर्चा में हैं कि उन्होंने अपनी विधानसभा को सर्वोत्तम बनाने का संकल्प लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काटकर सरोजनीनगर सीट से डॉ. राजेश्वर सिंह को टिकट दिया था। इस प्रतिष्ठित सीट पर चुनाव से ठीक 20 दिन पहले टिकट पाने के बाद डॉ. राजेश्वर सिंह ने दिन रात मेहनत की और 57 हजार से अधिक वोट से जीत हासिल की। 20 दिन में ही उन्होंने 250 से अधिक सभाएं कर 49 प्रतिशत वोट हासिल किए।

ये उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ही है कि विधायक बनते ही सरोजनीनगर क्षेत्र में जनता की दिक्कतों को दूर करने का काम अत्यंत तेज गति से शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत दिव्यांगों के कैम्प से हुई है। आज हर दूसरे दिन ऐसे कैम्प क्षेत्र में लग रहे हैं। क्षेत्र की आठ प्रमुख सड़कें ठीक होने का आदेश हो गया है। कौशल विकास और रोजगार के क्षेत्र में युवाओं के लिए अलग से काम हो रहा है। क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए भी प्लान तैयार हो रहा है। क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए डॉ. राजेश्वर अब तक सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पीयूष गोयल से अलग से मिल चुके हैं।
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