शारदीय नवरात्रि त्योहार आते ही लोगों के मन में उत्साह, भक्ति की भावना जागृत हो जाती है और आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। जगह-जगह मां के पंडाल और मंदिरों को सजाया जाता है। नवरात्रि हिंदु धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। जो कल से यानी 21 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। यह नवरात्रि 30 सितंबर तक चलेगा। शरदीय नवरात्रि देश भर में मनाया जाता है। शरदीय नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इन नौ दिनों तक मां दुर्गा धरती पर आकर भक्तों का उद्धार करती हैं।
नवरात्रि का त्योहार साल भर में दो बार मनाया जाता है। लेकिन हिंदी पंचाग के नवरात्रि अनुसार साल भर में चार बार मनाया जाता है। इस नवरात्रि को दुर्गा पूजा और शरदीय नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। पंचाग के अनुसार यह नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आता है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रे कहा जाता है।
पहले दिन कलश की स्थापना-
पहले दिन कलश स्थापना का विधान है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना से पूजन सफल होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। क्योंकि कलश में ही ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रहों, सभी नदियों, सागरों-सरोवरों, सातों द्वीपों,चौंसठ योगिनियों सहित सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास रहता है, तभी विधिपूर्वक कलश पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है।
पंडालों में मां की पूजा-अर्चना –
नवरात्रि आते ही देश भर के अलग-अलग हिस्सों में मां की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। इसके अलावा जगह–जगह पर मां के विशाल पंडाल लगाए जाते हैं। पंडाल में मां की मूर्तियां स्थापित की जाती है। जिसमें नौ दिनों तक पंडाल में भक्त बैठकर सुबह-शाम मां की पूजा अर्चना में लीन रहते हैं। उनका दसवें दिन उनको बड़े ही धूमधाम से विसर्जित किया जाता है।
नवरात्रि नौ दिनों तक मनाया जाता है जिसमें नौ नक्षत्रों और दुर्गा मां की नौ शक्तियों की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि दशहरा के पहले मानया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान राम ने समुद्र के किनारे की थी। उन्होंने लगातार नौ दिन मां की पूजन करने के बाद रावण और लंका पर विजय प्राप्त की। यही कारण है कि शरदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की पूजा अर्चना के बाद 10वें दिन दशहरा मनाया जाता है।
नौ दिन मां के लिए व्रत
नवरात्रि में मां के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर रूप की अपनी अपनी विशेषता होती है। नवरात्रि में लोगों में उपवास रखने की अलग-अलग मान्यता है। कोई दो दिन व्रत रखता है तो कोई नौ दिनों तक उपवास रखता हैं। भक्तों का मानना है कि मां की भक्ति में बहुत शक्ति होती है। इसलिए हम मां के लिए नौ दिनों तक उपवास आसानी से रख लेते हैं।
दुर्गाष्टमी का महत्व
नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान अष्टमी पूजन का बहुत ही महत्व माना जाता है। इसमें मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। हालांकि हर दिन हर मां की मान्यताएं अलग अलग हैं। लेकिन दुर्गाष्टमी का महत्व अत्यधिक है।