नेताओं के बढ़ती हुई आय को लेकर सुप्रीम कोर्ट सदा से ही फटकार लगाती रही है। कल भी कुछ ऐसा ही हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने उन नेताओं के खिलाफ उसकी कार्रवाई पर सूचना का खुलासा नहीं करने के केंद्र के ‘रुख’ पर आज कड़ी आपत्ति जताई, जिनकी संपत्ति दो चुनावों के बीच 500 फीसदी तक बढ़ गई थी।
दरअसल कल सुप्रीम कोर्ट चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान उम्मीदवारों द्वारा आय के स्रोत का खुलासा करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस संबंध में दलीलें अधूरी रहीं और गुरुवार को भी जारी रहेंगी।
इसी दौरान न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के इरादे पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या सरकार ने ऐसे सांसदों या विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है जिनके चुनावी हलफनामे में संपत्तियों के बारे में दी गई जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारी से अलग है।
बता दें कि अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। रिपोर्ट में केंद्र को यह बताना होगा कि इस मामले में उसने अभी तक क्या ऐक्शन उठाए हैं या उसकी जांच कहां तक पहुंची है। कोर्ट ने सरकार यह भी निर्देश दिया कि वह अदालत के समक्ष इस संबंध में जरूरी सूचना रखे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यद्यपि सरकार यह कह रही है कि वह चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने जरूरी विवरण पेश नहीं किए हैं, यहां तक कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से उसके समक्ष सौंपे गए हलफनामे में दी गई सूचना अधूरी’ थी। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा, ‘सीबीडीटी हलफनामे में सूचना अधूरी है। क्या यह भारत सरकार का रुख है। आपने अब तक क्या किया है?’
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। एनजीओ ने कोर्ट से अपील की है कि इलेक्शन के दौरान ऐफिडेविट में सोर्स ऑफ इनकम का कॉलम जोड़ा जाए, ताकि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का सोर्स ऑफ इनकम पता चल सके।
हालांकि अदालत ने सरकार से 12 सितंबर तक इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा है।