ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर आज दूसरे दिन भी बहस जारी है। पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद निजी तौर पर इसमें कोर्ट की मदद कर रहे हैं।दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले में 19 मई तक रोज सुनवाई करेगी।  बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर के अलावा जस्टिस जोसेफ कुरियन, आरएफ नरीमन यूयू ललित और अब्दुल नजीर शामिल हैं।

सलमान खुर्शीद ने निकाह, मेहर और तलाक पर दलील देते हुए इसके व्यवस्था और व्यवहारिकता पर कई सवाल उठाये। सलमान खुर्शीद ने कहा है कि किसी और देश में तीन तलाक नहीं दिया जाता है,ऐसा केवल भारतीय मुसलमान करते हैं। इस पर जस्टिस रोहिंगटन नारीमन ने उनसे पूछा कि इस्लाम में निकाह और तलाक़ को लेकर मौजूद व्यवस्था में थ्योरी और व्यवहारिकता में जो अंतर है,क्या आप ये बताना चाहते हैं ? क्या आप चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उस व्यवस्था को लागू करे जो इस्लाम में है? इस पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि हां, लेकिन कोर्ट को इस मामले में कोई कानून नहीं बनाना चाहिए बल्कि इस्लाम में जो बेहतर तरीका बताया गया है, उसे बताना चाहिए। जब तीसरी बार तलाक बोला जाता है तो वो वापस नहीं हो सकता, लेकिन इसके लिए तीन महीने का वक्त होता है।

खुर्शीद ने बहस के दौरान कहा कि जो अल्लाह की नज़रों में अपराध है वह कभी कानूनी नहीं हो सकता और कोर्ट को राय दी कि तीन तलाक को रोकना चाहिए। इससे 90 फीसदी समस्या अपने आप  हल हो जाएगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने खुर्शीद से पूछा कि अगर तीन तलाक भारत में ही है तो बाकी देशों ने इसे खत्म करने के लिए क्या किया। खुर्शीद ने जवाब में कहा कि जो भारत में हो रहा है वैसा ही दूसरे देशों में भी हुआ होगा तभी यह खत्म हो पाया। खुर्शीद ने  तीन तलाक को घृणित पर फिर भी वैध बताया। इस तरह यह बहस लगातार जारी है।

सुनवाई के दौरान सीनियर वकील राम जेठमलानी भी तीन तलाक की एक पीड़िता की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देते हैं और इनकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है।

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