ट्रम्प सरकार ने H1B वीज़ा पर सख्ती दिखाते हुए अमेरिकी कम्पनियों को चेतावनी दी है कि अगर H1B वीज़ा का गलत इस्तेमाल किया जाता है या फिर अमेरिकी वर्करों से इस बाबत भेदभाव किया जाता है तो कड़े कदम उठाए जाएंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ तौर पर कहा था कि H1B वीज़ा को लेकर बदलाव किए जाएंगे और आखिरकार सरकार ने मौजूदा नियम प्रणाली के आवेदन में बदलाव करने की तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि आवेदन बदलाव के तहत पॉलिसी मेमोरंडम भी जारी किया गया है। यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) द्वारा जारी किए पॉलिसी मेमोरेंडम में कहा गया है कि कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स H-1B वीजा के लिए योग्य नहीं होंगे। यूएससीआईएस ने 31 मार्च को ‘रिसेशन ऑफ द दिसंबर 22, 2000, गाइडलाइन मेमो ऑन H-1B कम्प्यूटर रिलेटेड पोजिशन’ नाम से पॉलिसी मेमोरेंडम जारी किया था। ट्रम्प ने साफ किया है कि पहले प्राथमिकता अमेरिका के योग्य लोगों को दी जाएगी और उनको काम देने के मामले में कोई कोताई बर्दास्त नहीं की जाएगी।
ट्रम्प के इस आदेश से अमेरिका में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों को तगड़ा झटका लग सकता है। इससे खास तौर पर प्रभावित होने वाले कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो ट्रम्प सरकार ने उन लोगों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है, जो अमेरिकी मूल के नहीं हैं और वहां जाकर नौकरी करते हैं। सिविल राइट डिवीजन के एक्टिंग असिस्टेंट जनरल टॉम व्हीलर ने ओबामा सरकार पर आरोप लगाया है कि पिछली बार जो लापरवाही की गई थी, वह इस बार नहीं होगी और नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब H1B वीज़ा का आवेदन करने वालों की पूरी जांच की जाएगी, उनकी काबलियत को परखा जाएगा। साथ ही विभिन्न कागजों की भी जांच की जाएगी।
आइए जानते है क्या है H1B वीज़ा-
H1B वीज़ा एक नौकरी वीज़ा है जिसका इस्तेमाल अमेरिका में नौकरी पाने के लिए किया जाता है और यह वीज़ा उन लोगों के लिए है जो किसी खास पेशे से जुड़े हो जिसमें आईटी, आर्किटेक्ट, हेल्थ प्रोफेशनल्स आदि शामिल होते हैं। आवेदक का बैचलर होना अनिवार्य है। यह वीज़ा 6 साल के लिए जारी किया जाता है लेकिन बाद में इसकी मियाद बढ़वाई जा सकती है। वीज़ा ऐसे प्रोफेशनल्स को दिया जाता है जिन्हें अमेरिका में नौकरी करने का प्रस्ताव मिलता है।
भारत को H1B वीज़ा की क्यों चिंता है-
H1B वीज़ा के लेकर सबसे ज्यादा चिंता भारतीयों को है क्योंकि भारत एक ऐसा मुल्क है जहां इस वीज़ा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में कुल 40 लाख ऐसे लोग है जो H1B वीज़ा के जरिए वहां नौकरी कर रहे हैं। टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो जैसी आईटी सेक्टर की दिग्गज भारतीय कंपनियां जमकर H1B वीज़ा का लाभ उठाती हैं। ऐसे में भारतीय कम्पनियों के लिए यह आदेश चिंता का सबब बना हुआ है।
अमेरिका में जारी हुए इस आदेश के बाद यह बात तो तय है कि अगर H1B वीज़ा पर इस तरीके की पाबंदी लगती है तो भारत को फायदा मिल सकता है, क्योंकि इससे भारत का हुनर बाहर जाने की बजाए देश के ही काम आएगा और भारतीय कम्पनियों को अव्वल बनाने के साथ देश के विकास में मदद करेगा।