सीमांचल में AIMIM की जीत-हार का पूरा आंकड़ा, जानें ओवैसी को कितनी मिली सफलता?

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सीमांचल में AIMIM की जीत-हार का पूरा आंकड़ा
सीमांचल में AIMIM की जीत-हार का पूरा आंकड़ा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने फिर यह साफ कर दिया कि सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की पकड़ अब भी मजबूत है। राज्य की कुल 243 सीटों में से AIMIM ने सिर्फ 25 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन 25 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस जीत से यह जाहिर होता है कि सीमांचल के मुस्लिम मतदाता AIMIM को भरोसेमंद राजनीतिक विकल्प मानते हैं।

AIMIM ने किन सीटों पर जीत हासिल की?

जिन 5 सीटों पर AIMIM ने जीत दर्ज की, वे सभी सीमांचल क्षेत्र के केंद्र में आती हैं। ये वही इलाके हैं, जहां पार्टी ने पिछले चुनावों में भी अपना प्रभाव बनाए रखा था।

  • जोकीहाट – मुरशिद आलम
  • बहादुरगंज – तौसीफ आलम
  • कोचाधामन – सरवर आलम
  • अमौर – अख्तरुल ईमान
  • बायसी – गुलाम सरवर
  • इन क्षेत्रों में AIMIM के उम्मीदवारों ने साफ अंतर से जीत हासिल की, जिससे पता चलता है कि उनका क्षेत्रीय वोट बैंक अब भी मजबूत है।

सीमांचल में AIMIM की ताकत का कारण

सीमांचल का सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य AIMIM के लिए अनुकूल है। कई विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी 60% से अधिक है। AIMIM की रणनीति हमेशा स्थानीय मुद्दों—जैसे शिक्षा, रोजगार और विकास की कमी—पर केंद्रित रही है। इस कारण क्षेत्र के मतदाता लगातार पार्टी के साथ जुड़े रहे और सीमांचल AIMIM का मजबूत गढ़ बना हुआ है।

कहां कमजोर रहा AIMIM का प्रभाव?

सफलता के बावजूद AIMIM को सीमांचल में कई जगह हार का सामना करना पड़ा। बलरामपुर, किशनगंज, कस्बा और अररिया जैसे इलाकों में पार्टी ने प्रतिस्पर्धा तो दी, लेकिन जीत नहीं पाई। सीमांचल के बाहर स्थिति और कमजोर रही। ढाका, नाथनगर, सीवान, जाले, मधुबनी, मुंगेर और नवादा जैसे क्षेत्रों में AIMIM के उम्मीदवार शुरुआती राउंड से ही पीछे चल गए। नारकटिया में पार्टी का उम्मीदवार शमीमुल हक तकनीकी कारणों से नामांकन रद्द होने की वजह से चुनाव से बाहर रह गए।

नतीजे और AIMIM की राजनीतिक दिशा

2025 के चुनाव परिणाम बताते हैं कि सीमांचल में AIMIM की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है। पार्टी ने यह साबित कर दिया कि इस क्षेत्र में उसका प्रभाव स्थायी है। हालांकि, बिहार के बाकी हिस्सों में AIMIM को अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए मजबूत संगठन और लंबी रणनीति की आवश्यकता होगी।

सीमांचल में मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा AIMIM की ओर आकर्षित हो रहा है, जो आने वाले चुनावों में राज्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।