अफ्रीका की पटरियों पर दौड़ते नजर आएंगे बिहार में बने रेल इंजन, गिनी को भारत करेगा 150 इंजन का निर्यात; पीएम मोदी दिखाएंगे हरी झंडी

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पीएम मोदी 20 जून को मढ़ौरा से पहले इंजन को दिखाएंगे हरी झंडी, गोरखपुर-पाटलिपुत्र वंदे भारत का भी शुभारंभ

भारत अब केवल घरेलू रेलवे सिस्टम तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी तकनीकी ताकत का प्रदर्शन करेगा। पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी को भारतीय रेलवे की ओर से डीजल इंजन का निर्यात किया जाएगा। यह पहला मौका है जब भारत रेलवे इंजन का सीधा निर्यात करेगा। इन इंजनों का निर्माण बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा स्थित कारखाने में हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को मढ़ौरा से गिनी के लिए पहले इंजन को रवाना करेंगे। उसी दिन वे पाटलिपुत्र (बिहार) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के बीच वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाएंगे।

गिनी को तीन साल में मिलेंगे 150 आधुनिक इंजन

गिनी सरकार द्वारा जारी एक अंतरराष्ट्रीय टेंडर में भारत ने जीत हासिल की थी। इसके तहत वर्ष 2025-26 में 37, वर्ष 2026-27 में 82 और वर्ष 2027-28 में 31 इंजन भेजे जाएंगे। इस पूरे करार की कीमत लगभग 411 मिलियन डॉलर (करीब 3,533 करोड़ रुपये) है, जिससे हर इंजन की कीमत करीब 2.74 मिलियन डॉलर यानी लगभग 23.55 करोड़ रुपये होगी।

इंजनों की खासियत: ताकतवर और स्मार्ट तकनीक से लैस

इन 4,500 हॉर्सपावर (HP) वाले इंजनों में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें विंडशील्ड हीटिंग, इंसुलेटेड छत, टॉयलेट, एयर कंडीशनिंग और आरामदायक केबिन शामिल हैं। इनमें डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (DPWCS) भी होगा, जिससे एक साथ कई इंजनों को वायरलेस तकनीक से नियंत्रित किया जा सकेगा।

  • एक इंजन 8,000 टन तक माल ढोने में सक्षम
  • 24 घंटे में 1,200 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं

मढ़ौरा का कारखाना: PPP मॉडल का उदाहरण

बिहार का मढ़ौरा रेल इंजन निर्माण कारखाना पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है। इसे अमेरिकी कंपनी वैबटेक और भारतीय रेलवे द्वारा मिलकर संचालित किया जा रहा है। यहां ब्रॉड गेज, स्टैंडर्ड गेज और केप गेज — तीनों तरह की रेलवे लाइनें तैयार की गई हैं, जिससे विभिन्न देशों की जरूरतों के अनुसार इंजन बनाए जा सकें।

इन इंजनों में AC प्रोपल्शन, रीजनरेटिव ब्रेकिंग, माइक्रोप्रोसेसर-आधारित कंट्रोल और मॉड्यूलर आर्किटेक्चर जैसी तकनीकें शामिल हैं। साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किए गए ये इंजन अग्नि सुरक्षा, बिना पानी वाले टॉयलेट, फ्रिज और माइक्रोवेव जैसी सुविधाओं से लैस आरामदायक केबिनों के साथ आते हैं।

भारत अब बना इंजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र

भारत में फिलहाल 1,681 इंजन निर्माणाधीन हैं — यह संख्या अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों से भी अधिक है। ऐसे में भारत के लिए यह निर्यात रेलवे राजस्व बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। पहले जहां भारतीय रेलवे केवल लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत विदेशी सहायता प्रदान करता था, अब वह सीधे निर्यात से आय अर्जित करेगा।