हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बसौड़ा या बसोड़ा भी कहा जाता है और यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन घर में चूल्हा जलाने की परंपरा नहीं होती, बल्कि एक दिन पहले बना हुआ भोजन ही खाया जाता है। मान्यता है कि शीतला माता रोगों का नाश करती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। आइए जानते हैं इस साल यह पर्व कब मनाया जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
बसौड़ा पर्व की सही तिथि
- अष्टमी तिथि प्रारंभ – 22 मार्च, शनिवार, सुबह 4:23 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त – 23 मार्च, रविवार, सुबह 5:23 बजे
- उदयातिथि को प्राथमिकता देने वाले भक्त 22 मार्च, शनिवार को शीतला माता की पूजा करेंगे।
शीतला माता पूजा मुहूर्त
22 मार्च को सुबह 4:49 बजे से 6:24 बजे तक
बसौड़ा पर्व का महत्व
कुछ लोग शीतला माता की पूजा सप्तमी तिथि को करते हैं, तो कुछ इसे अष्टमी तिथि को मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से चेचक, खसरा, चिकन पॉक्स और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव होता है। साथ ही, मन और शरीर की शीतलता बनी रहती है। बसौड़ा पर्व पर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और इस दिन घर में नया खाना नहीं पकाया जाता।
बसौड़ा पूजा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- शीतला माता को ताजे भोजन की बजाय ठंडा या बासी भोजन ही अर्पित करें।
- इस पूजा के दौरान धूप, दीपक, कपूर और धूपबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
- माता की पूजा में अग्नि का उपयोग वर्जित माना जाता है।
- शीतला माता की पूजा सूर्योदय से पहले करने का विशेष महत्व होता है।
- शीतला अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए सुख-शांति और रोगमुक्ति का प्रतीक माना जाता है। यदि विधिपूर्वक इस व्रत को किया जाए, तो माता की कृपा से घर-परिवार स्वस्थ और खुशहाल बना रहता है।