फाल्गुन मास में आने वाला होली का त्योहार पूरे देश में उल्लास और उमंग से मनाया जाता है। खासतौर पर ब्रज और काशी की होली का अलग ही महत्व है। काशी की होली को “भस्म होली” भी कहा जाता है, जहां नागा साधु और अघोरी भस्म के साथ इस पर्व को मनाते हैं। कहा जाता है कि काशी में पूरे देश से एक दिन पहले होली खेली जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस साल होलिका दहन और होली किस दिन होगी।
होलिका दहन और होली की सही तिथियां
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च की सुबह 10:02 बजे शुरू होगी और अगले दिन 14 मार्च को सुबह 11:11 बजे तक रहेगी। चूंकि होलिका दहन हमेशा रात्रि में ही किया जाता है, इसलिए इस बार 13 मार्च की रात को ही होलिका दहन संपन्न होगा।
इसके अगले दिन से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का आरंभ होगा और पूरे देश में 15 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन प्रतिपदा तिथि दोपहर 12:48 बजे तक रहेगी, जिसके कारण 15 मार्च को ही पूरे देश में होली खेली जाएगी।
क्या कहती है ज्योतिष गणना?
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि 13 मार्च को सुबह 10:02 बजे पूर्णिमा लगते ही भद्रा भी प्रारंभ हो जाएगी, जो रात 10:37 बजे समाप्त होगी। चूंकि शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन करना वर्जित माना जाता है, इसलिए 13 मार्च की रात 10:37 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।
काशी में पहले क्यों खेली जाती है होली?
काशी में होलिका दहन के बाद अगले ही दिन सुबह 64 योगिनियों (64 देवियों) की पूजा और परिक्रमा करने की परंपरा है। इस पूजन के बाद ही होली खेलने की शुरुआत होती है। इसी वजह से कई बार ऐसा होता है कि काशी में होली पूरे देश से पहले मनाई जाती है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। APN NEWS इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।)