प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। इस पवित्र आयोजन में नागा साधु अपने विशेष 17 श्रृंगार के साथ शाही स्नान करते हैं, जो उनके तपस्वी जीवन और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। महाकुंभ के दौरान होने वाला शाही स्नान इस आयोजन का मुख्य आकर्षण होता है। नागा साधु, जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर तपस्वी जीवन जीते हैं, इस स्नान के पहले विशेष 17 श्रृंगार धारण करते हैं। इन श्रृंगारों का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
नागा साधु और उनके 17 श्रृंगार का महत्व
नागा साधु अपने कठोर तपस्वी जीवन के लिए प्रसिद्ध होते हैं। वे सांसारिक वस्त्र, धन और सुख-सुविधाओं का त्याग कर केवल भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं। उनकी यह जीवनशैली और भक्ति उनके 17 विशेष श्रृंगारों में परिलक्षित होती है। ये श्रृंगार न केवल उनकी धार्मिक परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि उनके वैराग्य, शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी हैं।
17 श्रृंगार जो नागा साधु करते हैं
शाही स्नान से पहले नागा साधु इन 17 श्रृंगारों को धारण करते हैं:
- भभूत: शरीर पर भस्म का लेप, जो शुद्धता और वैराग्य का प्रतीक है।
- लंगोट: एकमात्र वस्त्र, जो उनके त्याग को दर्शाता है।
- चंदन: शरीर पर लगाया जाने वाला लेप, जो शीतलता प्रदान करता है।
- चांदी या लोहे के कड़े: पैरों में पहने जाने वाले कड़े, जो साधु का प्रतीक हैं।
- पंचकेश: जटाओं को पांच बार घुमा कर बांधना।
- रोली का लेप: माथे पर धार्मिक चिह्न बनाने के लिए।
- अंगूठी: धातु से बनी विशेष अंगूठियां।
- फूलों की माला: गले में धारण की जाती है।
- चिमटा: भगवान शिव से जुड़ा धार्मिक उपकरण।
- डमरू: शिव का प्रिय वाद्य यंत्र।
- कमंडल: जल रखने का पवित्र पात्र।
- जटाएं: तपस्या और त्याग का प्रतीक।
- तिलक: धार्मिकता का चिन्ह।
- काजल: आंखों में लगाया जाने वाला पवित्रता का प्रतीक।
- हाथों में कड़ा: धातु का कड़ा, जो शक्ति का प्रतीक है।
- विभूति का लेप: शरीर पर पवित्र राख का लेप।
- रुद्राक्ष: भगवान शिव की शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक।
शाही स्नान और इन श्रृंगारों का महत्व
महाकुंभ में शाही स्नान एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें नागा साधु पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं। यह स्नान उन्हें आध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करता है और उनकी भक्ति को नई ऊर्जा से भरता है। इन 17 श्रृंगारों के बिना नागा साधु शाही स्नान नहीं करते, क्योंकि यह उनके धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
महाकुंभ: परंपरा, आस्था और उत्सव का संगम
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। नागा साधुओं का 17 श्रृंगार और उनका शाही स्नान इस आयोजन की अद्भुत झलक प्रस्तुत करता है। यह नजारा श्रद्धालुओं को भारतीय परंपराओं की गहराई और भक्ति का अहसास कराता है।