धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के दिन माता का भोग बनाते समय बिल्कुल भी न करें ये गलती

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माता का भोग बनाते समय बिल्कुल भी न करें ये गलती
माता का भोग बनाते समय बिल्कुल भी न करें ये गलती

कन्या पूजन को नवरात्रि का अहम भाग माना जाता है। 9 दिनों तक माता की पूजा करने के बाद भक्त जन आठवें या फिर नौंवे नवरात्रि को कन्याओं को भोज करते है। कन्याओं को भोज कराने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और मां को विदा किया जाता है। कन्या पूजन के लिए तरह-तरह के पकवान बनाएं जाते हैं और पकवान भी वहीं बनते हैं जो माता रानी को अति प्रिय होते है। माता रानी को भोग लगाने के बाद ही भोग कन्याओं को भोग खिलाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें गलती से भी कन्या पूजन में नहीं करना चाहिए, तो आइए उनके बारे में जानते हैं।

हलवा-पूरी- काला चना

नवरात्रि में माता रानी को हलवा-पूरी के साथ बिना प्याज लहसुन के काले चनों का भोग जरूर लगते हैं, यह माता रानी का पसंदीदा भोज माना गया है। ऐसा माना जाता है कि काले चनों के बिना माता का भोग पूरा नहीं होता है।

फल और मिठाई

इसके साथ माता रानी को फलों और मिठाई का भोग भी लगाया जाता है। नारियल, केले या सेब जैसे फलों के साथ आप भोग में बताशों का भोग भी लगा सकते हैं।

भूलकर भी ना करें ये गलती

  • माता रानी के भोग के लिए आप जिन चीजों को भी बना रहे हैं उन्हें सात्विक तरीके से बनाना चाहिए।
  • इनको बनाते समय आप प्याज और लहसुन का बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें।
  • जिस स्थान पर कन्या पूजन करना हो, उसे गंदा न रखें।
  • कन्याओं को डांटे भी नहीं और ना ही उनसे ऊंची आवाज में बातें करें।
  • बिना बालक के कन्या पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है, क्योंकि लड़कों को भगवान भैरव का स्वरूप माना जाता है।
  • दक्षिणा और उपहार के बिना कन्याओं को विदा बिल्कुल भी न करें।
  • बिना किसी भेद-भाव के कन्या पूजन करें।

शुभ मुहूर्त

दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट के बीच आप मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
अष्टमी तिथि पर सुबह 07 बजकर 44 मिनट से 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।