दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार पर कई चर्चाएं हो रही हैं। इस बीच, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल की सरकार की हार के पीछे उनकी शराब नीति को एक प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने शुरुआत में अच्छा काम किया था, लेकिन बाद में शराब की दुकानों के विस्तार पर जोर दिया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।
अन्ना हजारे की प्रतिक्रिया
अन्ना हजारे, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था, ने अरविंद केजरीवाल के शुरुआती कार्यों की सराहना की, लेकिन उनके शराब नीति को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब तक केजरीवाल जनहित में काम कर रहे थे, तब तक उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई। मगर जैसे ही उन्होंने शराब की दुकानें खोलनी शुरू कीं और लाइसेंस बांटना शुरू किया, तब हजारे इससे असहज महसूस करने लगे।
नई मुख्यमंत्री की सराहना
अन्ना हजारे ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में एक महिला मुख्यमंत्री बनना गौरव की बात है। उनका मानना है कि लोगों ने रेखा गुप्ता को उनके ईमानदार विचारों और अच्छे कार्यों के कारण चुना है।
केजरीवाल की दिशा भटकी?
अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि एक मुख्यमंत्री को समाज के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने आम आदमी पार्टी की पूर्व आबकारी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को ऐसी नीतियां नहीं बनानी चाहिए थीं, जिससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के मतदाताओं ने इस नीति को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जो चुनाव नतीजों में स्पष्ट दिखा।
शराब नीति से आई चुनावी हार?
अन्ना हजारे शराब की खपत और बिक्री के सख्त विरोधी रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब अरविंद केजरीवाल ने शराब के लाइसेंस देना शुरू किए, तो यह निर्णय जनता को रास नहीं आया और यही कारण रहा कि लोगों ने चुनाव में आम आदमी पार्टी को नकार दिया।
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के पीछे कई कारक हो सकते हैं, लेकिन अन्ना हजारे ने शराब नीति को प्रमुख कारण बताया है। उनका मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी नीतियों में बदलाव किया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा और परिणामस्वरूप चुनावी हार हुई। अब देखना यह होगा कि पार्टी इस हार से क्या सबक लेती है और भविष्य में अपनी नीतियों को कैसे सुधारती है।