केंद्र में मौजूद मोदी सरकार नोटबंदी के बाद भारत को पूर्णत: कैशलेश और डिजिटल बनाने के लिए एक के बाद एक बड़े अहम कदम उठा रही है। सरकार को पता है कि सालों से कैश के साथ जीवन-यापन चलाने वाले लोगों को कैशलेस व्यवस्था की तरफ जागरूक करना आसान नहीं होगा इसलिए केंद्र सरकार नागरिकों को लगातार लुभाने की कोशिश कर रही है। इस बार केंद्र सरकार क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में लगने वाला टैक्स पर ग्राहकों को पूरी तरह से छुट देने पर विचार कर रही है। सरकार को मिले एक सुझाव में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर ग्राहकों को टैक्स फ्री करने को कहा गया है।

Another step of the Modi government towards Cashless India - 1

केंद्र सरकार की तरफ से न्यायधीश एमबी शाह की अनुवाई में बनाई गई एसआईटी ने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में लगने वाले टैक्स को समाप्त करने का सुझाव दिया है। साथ ही शाह पैनल ने जो वरिष्ठ अधिकारी अपने टैक्स का अच्छे से भुगतान करते है उनके लिए चिकित्सा बीमा, जीवन बीमा और पेंशन देने की बात कही है। कई बैंकों ने हाल ही में खाताधारकों से नकदी जमा-निकासी पर भी चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में बैंकों द्वारा एटीएम से भी निकासी सीमा को सीमित करने की बात चल रही है। ऐसे में न्यायधीश एमबी शाह की एसआईटी का यह सुझाव सरकार और जनता दोनों के लिए कारगार साबित हो सकता है। सरकार के इस अहम कदम से लोगों में कैशलेस के प्रति भी जागरूकता बढ़ सकती है। इन सुझावों पर 11 मार्च को अहमदाबाद में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चर्चा भी हुई।

डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ट्रांजेक्शन चार्ज में बड़ी कटौती कर चुका है। देश के केंद्रीय बैंक ने डेबिट कार्ड से 1,000 रुपये तक के पेमेंट्स पर 0.25 प्रतिशत,  2,000 रुपये तक के पेमेंट्स पर 0.50 प्रतिशत तो 2,000 रुपये से ऊपर के पेमेंट्स पर 1 प्रतिशत, वहीं क्रेडिट कार्ड से 1,000 रुपये तक के ट्रांजैक्शन पर 25 रुपये मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर तय कर दिया है। प्रत्येक कार्ड ट्रांजैक्शन पर बैंक को मिलने वाला कमिशन एमडीआर कहलाता है।

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