सागर मंथन के बाद श्रीलक्ष्मी जी की प्राप्त हुईं
इनके साथ ही निकले कई अनमोल रत्न जिसमें धनवंतरि भगवान, कामधेनू गाय और कल्पवृक्ष
देवी लक्ष्मी का विवाह भगवान श्री विष्णु जी के साथ हुआ
मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु से विवाह के बाद उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया
देवी लक्ष्मी को बेहद अहम जिम्मेदारी सौंपी गई
पूरी सृष्टि के आर्थिक रूप से संचालन में उनका महत्व काफी बढ़ गया
ऐसे में उन्होंने अपने परम भक्त भगवान कुबेर को धन वितरण एवं प्रबंधन का दायित्व सौंपा
लेकिन, कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बांटते नहीं थे, खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए
पृथ्वी जनों में व्याप्त असंतोष को देखकर जब देवी माता लक्ष्मी परेशान हो गईं
उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई
भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि तुम अपना धन प्रबंधक को बदलो
भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी
मां लक्ष्मी ने गणेश जी को धन का विरतक बनने को कहा
जिसके माध्यम से भगवान गणेश को मां लक्ष्मी के साथ दीवाली पूजन में रखने की परंपरा की शुरुआत हुई
देवी लक्ष्मी की अपार कृपा से भगवान गणेश जी धन के वितरणकर्ता बने
बता दें कि कार्तिक अमावस क जब दीवाली आती है भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं
धनतेरस का शुभ मुहुर्त देखने के लिए यहां क्लिक करें....
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