अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले कृषि आयातों, विशेषकर चावल, पर नए टैरिफ लगाने का संकेत देकर भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। व्हाइट हाउस में किसानों के लिए अरबों डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा के दौरान ट्रंप ने भारत समेत कई एशियाई देशों से होने वाले आयात की आलोचना की और सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए।
एक्सपोर्टर्स फिर चिंता में
ट्रंप के इस बयान के बाद भारतीय चावल निर्यातकों को आशंका है कि सितंबर 2025 से लागू 50% रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद अब नया शुल्क व्यापार को और प्रभावित कर सकता है। पहले लगे टैरिफ के कारण भारत से अमेरिका जाने वाला चावल निर्यात पहले ही औसत की तुलना में करीब 50% गिर चुका है।
वियतनाम और थाईलैंड का भी उल्लेख
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय भलोटिया ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि ट्रंप ने भारत के साथ वियतनाम और थाईलैंड का जिक्र किया है, जो इस बात का संकेत है कि निशाना सम्भवतः गैर-बासमती चावल पर है।
उन्होंने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि प्रस्तावित अतिरिक्त टैरिफ केवल गैर-बासमती चावल पर लगेगा या बासमती चावल पर भी लागू होगा। अमेरिकी बाजार में बासमती चावल का आयात, गैर-बासमती चावल की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है। ऐसे में फैसला क्या होगा, इस पर सबकी नजर टिकी है।
भारत-अमेरिका चावल व्यापार के आंकड़े
एसोसिएशन के अनुसार–
- वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 2.5 लाख MT बासमती चावल भेजा।
- गैर-बासमती चावल का निर्यात 0.6 लाख MT रहा।
- कुल निर्यात मूल्य लगभग 350 मिलियन डॉलर (करीब 3150 करोड़ रुपये) था।
टैरिफ की आशंका से बड़ा असर
ट्रंप के ताजा बयान के बाद आशंका है कि करीब 3150 करोड़ रुपये के चावल व्यापार पर फिर ब्रेक लग सकता है। बासमती चावल का अमेरिकी बाजार में निर्यात पिछले कुछ वर्षों में सालाना 20% की दर से बढ़ रहा था, लेकिन अगस्त में लगाए गए 50% रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद यह गति पहले ही कम हो चुकी है।
भारतीय निर्यात पर संभावित झटका
अगर ट्रंप आने वाले समय में नए टैरिफ लागू करते हैं, तो भारत से अमेरिका जाने वाले चावल के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। निर्यातकों का कहना है कि इससे व्यापार और धीमा पड़ सकता है और भारतीय चावल की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति कमजोर हो सकती है।









