कौन थे R. K. Laxman? जिनकी आज है जयंती

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R. K. Laxman
R. K. Laxman (Via: Shivraj Singh Chouhan Twitter)

हमारे देश के मशहूर कार्टूनिस्ट R. K. Laxman की आज जयंती है। पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित महान कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण अगर आज जिंदा होते तो वह पूरे 100 साल के हो जाते। उन्‍होेंने अपने कार्टूनों से आम आदमी की और आम आदमी की रोजमर्रा की समस्याओं की बात की है। उनकी जयंती पर कई लोगों ने उन्हें याद किया। चालिए तो आज महान कार्टूनिस्ट की जयंती के अवसर पर जानते हैं उनके बारे में सब कुछ।

तमिल परिवार में जन्‍म हुआ

आर के लक्ष्मण का जन्म 1921 में मैसूर में एक तमिल हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता एक प्रधानाध्यापक थे और लक्ष्मण उनके आठ बच्चों में सबसे छोटे थे। प्रसिद्ध उपन्यासकार आर.के. नारायण (R.K. Narayan) उनके बड़े भाईयों में से एक थे।

फर्श, दीवारों और दरवाजों पर चित्र बनाते थे

उन्‍होंने पढ़ाई शुरू करने से पहले ही द स्ट्रैंड, पंच, बायस्टैंडर, वाइड वर्ल्ड और टिट-बिट्स जैसी पत्रिकाओं में दिए गए चित्रों को देखना शुरू कर दिया था। बहुत कम उम्र से ही वह अपने घर के फर्श, दीवारों, दरवाजों पर चित्र बनाया करते थे। स्‍कूल में पीपल के पत्ते का चित्र बनाने पर टीचर के द्वारा उनकी प्रशंसा करने पर वो कलाकार बनने के बारे में सोचने लगे। उनको बचपन में विश्व-प्रसिद्ध ब्रिटिश कार्टूनिस्ट सर डेविड लो ने भी प्रभावित किया था।

जिस काॅलेज में एडमिशन नहीं हुआ वहीं भाषण देने बुलाया गया

महाराजा स्कूल से हाई स्कूल पास करने के बाद उन्‍होंने जे.जे. इंस्टिट्यूट ऑफ़ एप्लाइड आर्ट ड्राइंग (JJ Institute of Applied Art Drawing) में दखिला लेने की सोची लेकिन वहां के डीन ने उनके चित्रों को देखते हुए उन्हें रिजेक्‍ट किया और लिखा कि उनमें प्रतिभा की कमी है। हांलाकि कुछ सालों बाद उसी इंस्टिट्यूट में उन्‍हें भाषण देने के लिए बुलाया गया। अंत में उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बीए किया।

पढ़ाई करते हुए शुरुआती काम शुरू किया

आर.के.लक्ष्मण ने शुरुआत में रोहन अखबार और स्वराज्य और ब्लिट्ज पत्रिकाओं में काम किया था। मैसूर के महाराजा कॉलेज में पढ़ाई करते हुए उन्होंने द हिंदू अखबार में अपने बड़े भाई आर के नारायण की कहानियों पर कार्टून बनाना शुरू किया और उन्होंने स्थानीय समाचार पत्रों और स्वतंत्र पत्रिका के लिए राजनीतिक कार्टून बनाए।

बाल ठाकरे के साथ भी काम किया

लक्ष्मण ने मद्रास के जेमिनी स्टूडियो में भी कुछ दिनों के लिए नौकरी की। उनकी पहली नौकरी मुंबई में द फ्री प्रेस जर्नल के लिए एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में थी। द फ्री प्रेस जर्नल में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे उनके सहयोगी थे। 1951 में उन्‍होेंने द टाइम्स ऑफ इंडिया मुंबई में काम करना शुरू किया, जिसके बाद उन्‍होेंने वहां पचास वर्षों से अधिक समय तक काम किया। यहां पर उन्‍होंने अपने कार्टूनों में “कॉमन मैन” के चरित्र को चित्रित किया।

मालगुडी डेज़ के लिए कार्टून बनाए

लक्ष्मण ने 1954 में एशियन पेंट्स लिमिटेड समूह (Asian Paints Ltd group) के लिए “गट्टू” (Gattu) नामक एक लोकप्रिय मैस्कॉट बनाया। उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे, जिनमें से पहले का शीर्षक द होटल रिवेरा था। उनके कार्टून हिंदी फिल्म मिस्टर एंड मिसेज 55 और तमिल फिल्म कामराज में भी दिखाई दिए। मालगुडी डेज़ (Malgudi Days) के टेलीविज़न रूपांतरण में उन्‍होंने कार्टून बनाए, जिसे उनके बड़े भाई आर. के. नारायण ने लिखा था।

2015 में हुई मृत्‍यु

उनका 2015 में पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में 93 वर्ष की आयु में निधन हुआ । उनकी मौत के तीन दिन पहले उन्हें मूत्र पथ के संक्रमण (Urinary Tract Infection) और छाती की समस्याओं के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके कारण उनके शरीर के कई अंग विफल हो गए थे।

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