ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां कैसे आपके दिमाग को पढ़ लेती हैं

भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का बाजार बढ़ता जा रहा है.

जैसे-जैसे मोबाइल यूजर बढ़ रहे हैं वैसे ऑनलाइन शॉपिंग भी बढ़ रहा है.

इस सबके पीछे बड़ी मार्केटिंग स्ट्रेटजी है.

कोरोनो के खतरे को देखते हुए सरकार ने ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा देने के लिए एडवाइजरी तक जारी कर दी थी.

ब्रेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट में भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन खरीदारों का गढ़ बताया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, ये संख्या वर्तमान में 180-190 मिलियन की है.

रिपोर्ट के अनुसार, ये संख्या 2027 तक बढ़कर 450 मिलियन तक हो सकती है.

दरअसल, आपकी शॉपिंग के पीछे ई कॉमर्स कंपनियों की रणनीति होती है.

जिसकी वजह से आप गैरजरूरी चीजों को भी जरूरी समझकर पैसों में आग लगाते रहते हैं.

ऑनलाइन सर्फिंग करते वक्त आपको ऐसी चीजों के विज्ञापन दिखते हैं जिन्हें आप लेने की सोच रहे हैं या जानकारी चाहते हो.

बार-बार इस तरह के विज्ञापन देखने से आपके दिमाग को लगता है कि आपको उसकी जरूरत है और आप वो सामान खरीद लेते हैं.

ऑनलाइन सेलर्स आपको शॉपिंग कराने के लिए कई तरह की ट्रिक्स लगाते हैं.

इसे एक तरह का साइकोलॉजिकल प्रेशर है जिसे 'फियर ऑफ मिसिंग आउट' (FOMO) कहते हैं.

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