रेपो रेट से मंहगाई का क्या लेन-देन है? जानें यहां
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक को RBI द्वारा कर्ज दिया जाता है
फिर इसी के आधार पर बैंक ग्राहकों को कर्ज देते हैं
जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI उन्हें ब्याज देती है
ऐसे में, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाती है तब बैंकों पर बोझ बढ़ता है
और बैंक की तरफ से तब बैंक रेट में यानी लोन महंगा होता है
रेपो रेट बढ़ोतरी से कॉस्ट ऑफ बोरोइंग यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगी
बैंकों को पैसा महंगा मिलेगा तो आने वाले समय में लोन और महंगे हो जाएंगे
बैंक इसका असर ग्राहकों पर डालेंगे
इससे मकानों की ब्रिकी और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है
रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी पर है
ब्याज दरों के इस अनुमान के बीच मॉनेटरी पॉलिसी के एलान में लिक्विडिटी पर आरबीआई की कमेंट्री पर नजर रहेगी
क्योंकि LAF (लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसेलिटी) सरप्लस लगभग खत्म हो चुका है
महंगाई से लड़ने के लिए फेड के मजबूत संकल्प का असर दुनिया के बड़े हिस्से में पेमेंट डायनेमिक्स के संतुलन पर पड़ रहा है
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