साल में मात्र 24 घंटे के लिए खुलता है ये मंदिर, जानिए प्रतिमा की खासियत

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे भाग में एक नागचंद्रेश्वर मंदिर है

यह मंदिर साल भर में केवल 24 घंटे के लिए खुलता है

ये मंदिर सावन के शुक्ल पक्ष के दिन नागपंचमी को खुलता है

नागचंद्रेश्वर मंदिर में रखी प्रतिमा काफी पुरानी है

इस मंदिर में रखी गई प्रतिमा 11वीं शताब्दी में नेपाल से लाई गई थी

इस प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हैं जिन पर सांप फन फैलाकर बैठा हुआ है

पूरे भारत में यह एकलौता मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ हैं

भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है

इस मंदिर में पट खुलने के बाद तीन बार पूजा-अर्चना की जाती है

इस कड़ी में पहली पूजा मध्यरात्री में होती है

दूसरी पूजा नांगपंचमी की दोपहर शासन द्वारा में होती है

तीसरी पूजा महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति द्वारा की जाती है

फिर कपाट को दोबारा साल भर के लिए बंद कर दिया जाता है

मान्यताओं के अनुसार, सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी

इस तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होकर तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया

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