देवउठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को मनाई जा रही है

इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं

इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं

5 नवंबर 2022 को शालिग्राम और तुलसी विवाह होगी

जालंधर की पत्नी वृंदा पतिव्रता स्त्री थी

उसकी पूजा पाठ के प्रभाव से जालंधर को युद्ध में कोई हरा नहीं पाता था

वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी

वृंदा का सतीत्व भंग होने पर उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस तरह आपने छल से मुझे पति वियोग का कष्ट दिया है

उसी तरह आपकी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण होगा

साथ ही आप पत्थर के हो जाओगे

यही पत्थर शालीग्राम कहलाया

वृंदा पति की मृत्यु को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई

कहते हैं कि वृंदा की राख से एक पौधा निकला जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया

श्रीहरि ने घोषणा की कि तुलसी के बिना मैं प्रसाद ग्रहण नहीं करूंगा

मेरा विवाह शालीग्राम रूप से तुलसी के साथ होगा

कालांतर में इस तिथि को लोग तुलसी विवाह के नाम से जानेंगे

जानें देवउठनी एकादशी का खास महत्‍व...