षष्‍ठी पूजा के साथ होगा दुर्गा पूजा का आगाज

शारदीय नवरात्रि का खास मौका यानी दुर्गा पूजा का आगाज आज यानी षष्‍ठी पूजा के साथ होने जा रहा है.

इसके लिए दिल्‍ली-एनसीआर में जगह-जगह भव्‍य पंडाल सजकर तैयार हो चुके हैं.

षष्ठी को मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है.

इसके साथ ही मां की सुंदर मूर्तियों की आंखों पर बांधी गई पट्टी भी खोली जाती है.

षष्‍ठी के दिन पंडालों में मां दुर्गा के साथ मां सरस्‍वती, माता लक्ष्‍मी, भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां भी बनाई जाती है.

खासतौर से दुर्गा उत्सव पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, झारखंड और बिहार आदि राज्यों का प्रमुख त्योहार है.

दुर्गा पूजा मनाने के पीछे की वजह

दुर्गा पूजा मनाए जाने के पीछे अलग-अलग तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं.

एक मान्‍यता के अनुसार, देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया था, इसलिए बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवदुर्गा की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई.

कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं दिनों में मां दुर्गा अपने मायके आती हैं। इसी खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है.

ऐसी मान्‍यता है कि षष्‍ठी के दिन महिलाएं अपनी संतान और परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं.

इस दिन मां दुर्गा को उनका पसंदीदा भोग जैसे खिचड़ी, पापड़, सब्‍जियां, बैंगन का भर्ता और रशोगुल्ला अर्पित करते हैं.

बंगाली समुदाय के लोगों के बीच दुर्गा पूजा को अकालबोधन, शदियो पूजो, शरदोत्‍सब, महा पूजो, मायेर पूजो, पूजा या फिर पूजो भी कहा जाता है.

दुर्गा उत्‍सव के दौरान भव्‍य पंडाल बनाकर उनमें इस दौरान मां की आराधना के अलावा अनेक रंगारंग और सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

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