हिंदू धर्म में बड़ों के पैर छूने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है.
जब हम बड़ों के पैर छूते हैं तब बदले में हमें अपने बड़ों का आशीर्वाद मिलता है.
बड़ों के पैर छूने से उनकी सकारात्मक ऊर्जाएं हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं.
विज्ञान के अनुसार, हमारे शरीर में शक्ति का नकारात्मक और सकारात्मक प्रवाह होता है.
शरीर का बायां भाग नेगेटिव करंट प्रवाहित करता है.
दाहिना भाग पॉजिटिव करंट का संचार करता है.
दोनों भाग मिलकर धनात्मक या ऋणात्मक का एक परिपथ कार्य पूरा करते हैं.
भारतीय विद्वानों के अनुसार, पैर छूने के तीन तरीके हैं.
पहला आगे झुकने और पैर छूने का मूल तरीका है.
दूसरा अपने घुटनों के बल बैठना है और फिर दूसरे व्यक्ति के पैर छूना है.
तीसरा अपने पेट के बल लेटना होता है जिसमें आपका माथा जमीन को छूता है.
जिसे साष्टांग प्रणाम के रूप में भी जाना जाता है.
यह आमतौर पर हिंदू मंदिरों में भक्तों द्वारा किया जाता है.
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