छठ के दिन सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है        

छठ के तीसरे दिन यानी षष्ठी की शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है

इसे संध्या अर्घ्य कहते हैं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं

इसीलिए व्रती को प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ भी मिलता है

मान्यता है कि शाम को सूर्य उपासना से संपन्नता आती है

सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है

सप्तमी को सुबह में सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है

इसे पारण कहते हैं

अंतिम दिन सूर्य को वरुणवेला में अर्घ्य दिया जाता है

यह सूर्य की पत्नी ऊषा को दिया जाता है

ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान करता है

कहा जाता है कि सुबह के समय सूर्य की आराधना से सेहत बनती है और रोग मिटते हैं

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