कितने साल जिया था रावण, जानें कौन-कौन सा वरदान प्राप्त हुआ था

रावण का जन्‍म त्रेतायुग के अंतिम चरण के आरम्भ में हुआ था

रावण ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश समर्पित किया था

उसके 10 शीश थे

संसार को जीतने और राक्षसराज स्‍थापित करने के लिए उसने अपने भाइयों (कुम्भकर्ण और विभीषण) के साथ 10 हजार वर्षों तक ब्रह्माजी की तपस्या की थी

1 हजार वर्षों तक महादेव की भी स्‍तुति की थी

हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी

इसी तरह जब वह अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए

रावण ने उनसे वर मांगा कि देव, दानव, दैत्य, राक्षस, गंधर्व, नाग, किन्नर, यक्ष इत्‍यादि कोई न मार पाए

तब ब्रह्माजी ने कहा- “तथास्‍तु! लेकिन नर-वानर से खतरा हो सकता है ये भी याद रखना

तत्‍पश्‍चात् रावण ने कुबेर से लंका छीन ली और वर्षों तक स्‍वर्ग के देवों से संघर्ष चला

वर मिलने तक उसे 11 हजार वर्षों से ज्‍यादा हो चुके थे

लंका में उसका शासनकाल 72 चौकड़ी का था

1 चौकड़ी में कुल 400 वर्ष हुए, तो 72×400= 28800 वर्ष हो गए

10000+1000+28800 मिलाएं तब करीब 40 हजार वर्ष होते हैं

41,000वें वर्ष में उसका श्रीराम-सेना से सामना हुआ और वह मारा गया

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