मान्‍यताओं के अनुसार दीवाली की रात्रि मां लक्ष्मी का पृथ्वी लोक पर आगमन होता है

इस दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश जी का पूजन किया जाता है

उन्‍हें मुख्य भोग प्रसाद के रूप में खील (धान का लावा) और बताशे अर्पित किए जाते हैं

खासतौर से मां लक्ष्‍मी के लिए खील और गुड़ निर्मित लडडू, प्रसाद का भोग लगाया जाता है

खील का सीधा संबंध धान से है, इसे धान का लावा भी पुकारा जाता है

यह चावलों से बनाकर तैयार किया जाता है

मां लक्ष्मी जी को खील अर्पित करने को प्राकृतिक कारणों से भी जोड़कर देखा जाता है

दरसअल दीवाली के समय धान की फसल पककर तैयार हो जाती है

इसलिए मां लक्ष्मी की आभार व्यक्ति करने के लिए खीलों को पहले भोग के रूप में अर्पित किया जाता है

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को भोग में कुछ मीठा अवश्य अर्पित किया जाता है

इसलिए खीलों के साथ मीठे खिलौने या फिर बताशे का भोग लगाया जाता है

इसके अलावा इस दिन नए चावलों की खीर बनाकर भी मां लक्ष्मी को अर्पित की जाती है

लक्ष्मी जी को केसर की खीर प्रिय है इसलिए दिवाली के शुभ अवसर पर उन्हें खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए

इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं

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