Tripura: सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के आरोपियों राहत दी है। बुधवार को त्रिपुरा मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत (Supreme Court) ने सभी 102 आरोपियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया। आरोपी पत्रकार श्याम मीरा सिंह (Shyam Meera Singh) और 2 अन्य वकीलों की तरफ से अदालत में याचिका दायर की गयी थी।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में उन पर दर्ज UAPA के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है। याचिका में मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ हिंसा और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बाद,त्रिपुरा में मस्जिदों पर हमले की घटनाओं की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। इसके अलावा UAPA की कुछ धाराओं को असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है।
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है यदि राज्य को UAPA का उपयोग तथ्य परक खोज करने वालो को अपराधी बनाने की अनुमति दी जाती है,तो इसका बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यदि ऐसा होता है तो केवल सत्ता के अनुकूल तथ्य ही सामने आएगे।
श्याम मीरा सिंह की याचिका में क्या है?
वहीं पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने अपनी ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरएफ नरीमन के UAPA को अंग्रेजों का कानून बताने वाले भाषण का हवाला देते हुए,त्रिपुरा जल रहा है के अपने ट्वीट का भी बचाव किया है। इस घटना में त्रिपुरा में पुलिस ने वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों और कई सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ UAPA आपराधिक साजिश और जालसाजी के आरोपों के तहत मामले दर्ज किए। इसके साथ ही ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को ऐसे अकाउंट को फ्रीज करने और खाताधारकों की सभी जानकारी देने का भी नोटिस दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान और बाद में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का कई समूहों ने रैलियां निकालकर विरोध किया था। इन रैलियों के दौरान घरों, दुकानों और कुछ मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ की घटनाओं सामने आई थीं। इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर 102 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
कौन है Shyam Meera Singh? जिस पर त्रिपुरा सरकार ने लगाया है UAPA