Exclusive Interview: डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद Sunil Taneja बने स्पोर्ट्स कमेंटेटर, Pro Kabaddi League में इनकी आवाज ही पहचान बनी

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Pro Kabaddi League शुरू होने के बाद Sunil Taneja ने कबड्डी की कमेंट्री में अपना लोहा मनवाया है। अब तो ऐसा हो गया है कि कबड्डी में Sunil Taneja कमेंट्री करते नजर नहीं आते हैं तो ऐसा लगता ही नहीं है कि कबड्डी देख रहे हैं। डॉक्टर होते हुए भी उन्होंने कमेंट्री में अपना करियर बनाया। डीबी आयुर्वेदिक कॉलेज & हॉस्पिटल, पंजाब से डॉक्टर की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपना रुख स्पोर्ट्स कमेंट्री की तरफ कर लिया।

Sunil Taneja का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

APN News के Ujjawal Sinha ने Sunil Taneja से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश –

आपने डॉक्टर की पढ़ाई की, उसके बाद सीधे ESPN में स्पोर्ट्स कमेंटेटर बन गए, जबकि डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद आप अच्छे डॉक्टर भी बन सकते थे?

Sunil Taneja
Sunil Taneja

Sunil Taneja: पढ़ाई के साथ मुझे कलाकारी करने का भी शौक था। स्टेज पर भाषण देना, नाटक करना और भी एक्टिविटी में हमेशा से रुचि रही थी। जब मैं कॉलेज में था तो ईएसपीएन ने एक रियलिटी शो लॉन्च किया था। उस शो का नाम था हर्षा की खोज। उसका मुख्य पर्पस था नया कमेंटेटर और प्रेजेंटर ढूंढना। इस शो के दौरान मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं भारत के टॉप 6 लोगों में पहुंच गया। उस शो के सेमीफाइनल में भी पहुंचने में कामयाब रहा था।

उसके कुछ महीने बाद मुझे ईएसपीएन ने इंटर्नशिप का ऑफर दिया। इंटर्नशिप करने के बाद मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी होने के बाद ईएसपीएन ने मुझे जॉब का ऑफर दिया और वहीं से जॉब शुरू हो गई और कमेंट्री का करियर भी शुरू हो गया।

ईएसपीएन के बाद आप इंडिया टुडे ग्रुप में हिंदी मोबाइल टीम के हेड बन गए, जबकि आप ईएसपीएन में स्पोर्ट्स कमेंटेटर थे, तो आपके लिए ये बदलाव कैसा रहा?

TANEJA
Sunil Taneja

Sunil Taneja: हर इंसान का अपना-अपना शौक होता है। डॉक्टर की पढ़ाई करना भी बचपन से शौक था। बड़े हुए तो नाटक किए और भी अन्य एक्टिविटी में रुचि हमेशा से रहा ही था। फिर ईश्वर ने कमेंटेटर बनने का मौका दे दिया। उसके साथ साथ मुझे न्यूज़ देखने का बड़ा शौक था। राजनीति की खबरों को देखने में और करंट अफेयर्स में हमेशा से रुचि रखता था। इसी दौरान किसी कंसलटेंट का कॉल आया और उन्होंने बताया कि ऐसा-ऐसा जॉब है। मुझे भी लगा कि लाइफ में कुछ चेंज होना चाहिए, उसके बाद मेरा इंटरव्यू हुआ तब मुझे जॉब ऑफर की गई।

मोबाइल जर्नलिज्म में आने के बाद मुझे कुछ ज्यादा बदलाव नहीं करने पड़े। क्योंकि मैंने ईएसपीएन में भी कुछ समय मोबाइल जर्नलिज्म में काम किया था तो मुझे इसका आईडिया था। मुझे ऐसे भी खबरों में इंटरेस्ट रहता था और जिस दिन मेरी छुट्टी होती थी उस दिन मैं सुबह से शाम तक खबरें देखा करता था और ऐसे भी मैं मोजो से वाकिफ था, तो मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई। हां, यहां मेरे लिए एक चीज नया था कि मुझे 10-12 लोगों की टीम को संभालना था। वो मेरे लिए एक चुनौती थी, पर सुरेश जी (एडिटर) ने मेरी सहायता की और उन्होंने बताया कि टीम कैसे लीड की जाती है। ये बदलाव मेरे लिए अच्छा रहा।

आप मीडिया में ज्यादा दिन नहीं रहे, क्या आपको मीडिया का वर्किंग स्ट्रक्चर पसंद नहीं आया?

Sunil Taneja
Sunil Taneja

Sunil Taneja: नहीं, ऐसा नहीं है। मैं सच कहूं तो मुझे मीडिया में काम करना बहुत अच्छा लगा था। मुझे लगने लगा था कि मैं कमेंट्री छोड़कर पत्रकारिता में भी जा सकता हूं। मैं उस चीज को बहुत एन्जॉय कर रहा था। मीडिया फील्ड में आने से पहले मैंने हॉकी इंडिया लीग में कमेंट्री किया था। उसके बाद मैंने मीडिया फील्ड जॉइन कर लिया। 2014 में मुझे स्टार स्पोर्ट्स की तरफ से कॉल आया और उन्होंने मुझे बताया कि ऐसा-ऐसा होने वाला है। 2013 में मैं हॉकी लीग कवर कर चुका था तो उन्होंने मुझे पूछा क्या आपको दुबारा बुलाएंगे तो आप आएंगे। क्योंकि उस समय स्टार स्पोर्ट्स हिंदी के लिए बहुत कुछ करने वाला था।

2013 के बाद स्टार स्पोर्ट्स ने इंग्लिश के बड़े-बड़े कमेंटेटर को हिंदी में कमेंट्री करने के लिए बोला तो मुझे लगा कि अब इसमें कुछ क्रांति होने वाली है। पहले ऐसा था कि मैं तो प्रोपर जॉब करता था तो उस समय क्या था कि हिंदी की कमेंट्री कभी होती थी या नहीं भी होती थी। उस समय लोग हिंदी को उतना प्राथमिकता नहीं देते थे। ईएसपीएन के समय मे कुछ इवेंट्स ही हिंदी में कवर किए जाते थे।

स्टार स्पोर्ट्स ने धीरे-धीरे हिंदी को बढ़ाना शुरू किया, क्योंकि स्टार वालों को हिंदी की कीमत पता थी और यही सब देखर मुझे भी लगा कि अब इसमें जरूर कुछ न कुछ बड़ा होने वाला है। मुझे कहीं से आवाज आयी और लगा कि एक चांस ले सकते है। वहीं से मैं पूरी तरह से कमेंट्री की तरफ मुड़ गया। मुझे मीडिया का वर्किंग कल्चर बहुत अच्छा लगा था और जिन लोगों के साथ काम किया, वो भी बहुत अच्छे थे।

आपने कबड्डी को ही क्यों चुना जबकि आप और भी खेल को चुन सकते थे, क्योंकि उस समय कबड्डी का इतना क्रेज नहीं था?

Sunil Taneja
Sunil Taneja

Sunil Taneja: मैंने कबड्डी को नहीं बल्कि कबड्डी ने मुझे चुना और दूसरी बात की कौन सा इवेंट्स मुझे करना है या नहीं ये ब्रॉडकास्टर तय करते है। ब्रॉडकास्टर ही तय करते हैं कि उनको किस शैली का कमेंटेटर चाहिए। स्टार स्पोर्ट्स के साथ मैंने हॉकी इंडिया लीग का सीजन 1 और सीजन 2 किया था। तब तक लोग मुझे जानने भी लगे थे और स्टार स्पोर्ट्स वालों से भी एक पहचान बन गई थी। उसके बाद स्टार के तरफ से कॉल आया कहा गया कि कबड्डी लीग आ रही है। तो उसके वर्कशॉप में आप आइए। मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था क्रिकेट है, हॉकी है, या कबड्डी है, कमेंटेटर के लिए सारी चीजें बराबर ही होती है।

दूसरी बात ये होती है कि जब कुछ नई चीज शुरू है और उस नई चीज के साथ आप जुड़ों तो आपकी पहचान अलग से बन जाती है। तो स्टार के साथ मैंने वर्कशॉप किया और फिर पांच सात कमेंटेटर ने मिलकर मुझे चुना और कमेंटेटर के रूप में रख लिया। जब वर्कशॉप चल रहा था, तो स्टार वालों ने मुझे दिखाया कि प्रो कबड्डी लीग कैसी होगी। इसको देखने से पहले हमारे मन में तो वहीं सब था कि कबड्डी तो मिट्टी में खेले जाने वाला खेल है।

जब उन्होंने मुझे दिखाया कि कबड्डी किस तरह से पेश करने वाले है तो उसी समय मैंने कह दिया था कि ये जो चीज हैं ना प्रो कबड्डी लीग बहुत बडी बनने वाली है। कबड्डी का खेल तो रोचक है ही, तो प्रो कबड्डी लीग भी चल पड़ी और उसके साथ मेरा करियर भी चल पड़ा। उसके बाद लोगों का प्यार भी मिलना शुरू हो गया। इसलिए मैंने कबड्डी को नहीं कबड्डी ने मुझे चुना था अपने पास बुलाने के लिए।

प्रो कबड्डी लीग होने से खिलाड़ियों को कितना फायदा हुआ है और इससे टैलेंट हंट को कितना मदद मिलता होगा?

Sunil Taneja
Pro Kabaddi League

Sunil Taneja: प्रो कबड्डी लीग होने से खिलाड़ियों को बहुत फायदा हुआ। खिलाड़ियों को वो पहचान मिलने लगी जिसके वो हकदार थे और प्रो कबड्डी लीग होने से कबड्डी एसोसिएशन को अच्छे खिलाड़ी मिलने लगे। प्रो कबड्डी लीग ही टैलेंट हंट का सबसे बड़ा पैमाना है। भारत में कबड्डी के टूर्नामेंट बहुत होते है। हर साल नेशनल, सीनियर नेशनल, जूनियर नेशनल, पुरुष वर्ग, महिला वर्ग, इंटर डिपार्टमेंटल गेम्स, इंटर सर्विस गेम्स होते रहते है। कबड्डी का सबसे ज्यादा टूर्नामेंट हरियाणा और महाराष्ट्र में होता है। या यू कहें तो इन दोनों जगहों पर 365 दिन कबड्डी का टूर्नामेंट चलता रहता है। सभी टूर्नामेंट इनामी राशि के होते है।

प्रो कबड्डी आने के बाद टूर्नामेंट की संख्या और ज्यादा बढ़ गई है। मेरे पास आए दिन मैसेज आते रहते है कि यहां कबड्डी हो रही, वहां कबड्डी हो रही है और सबसे मजेदार बात कि प्रो कबड्डी के समय भी कबड्डी का टूर्नामेंट चलता रहता है और जितने भी खिलाड़ी गांव, जिला और राज्य स्तर पर कबड्डी खेलते है, उनका बस एक ही सपना होता है किसी तरह प्रो कबड्डी लीग तक पहुंचना। जब आप प्रो कबड्डी में अच्छा करोगें तो आपको इंडिया टीम में जगह मिलना ही मिलना है। सबसे बड़ा टैलेट हंट का पैमाना जो है वो प्रो कबड्डी लीग ही है।

गांव के बच्चे कैसे प्रो कबड्डी लीग तक पहुंच सकते है?

Sunil Taneja
Sunil Taneja

Sunil Taneja: किसी भी खिलाड़ी को एक-एक सीढ़ी चढ़कर ही ऊपर आना होता है। आप जब किसी भी स्तर पर अच्छा खेलते है तो आप अगले स्तर पर जाते ही जाते है। प्रो कबड्डी लीग के लगभग आधा दर्जन कोचेज को मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं जो गांवों में जाकर कबड्डी देखते हैं। वहां अगर कोई खिलाड़ी अच्छा खेलते दिखा तो उन्हें पिक करके आते हैं। इस समय कबड्डी के सबसे बड़े नामों में से एक प्रदीप नरवाल।

प्रदीप नरवाल को रणधीर सिंह शेरावत जो कोच हैं वो एक गांव में गए थे मुख्य अतिथि बनकर। वहां उन्होंने प्रदीप नरवाल को देखा और सीधा अपने टीम बेंगलुरु बुल्स में शामिल कर लिया। सीजन 2 में प्रदीप बुल्स में ज्यादा नहीं खेला। सीजन 3 में प्रदीप पटना पाइरेट्स में शामिल हो गए। उसके बाद प्रदीप ने जो किया वो आपके सामने है।

इस तरह के कई मिसाल है, संदीप सिंह शेरावत उन कोचेज में से एक है। उसके अलावा मनप्रीत सिंह जो इस समय गुजरात के कोच है, उनकी अपनी एकेडमी भी है। कम से कम आधा दर्जन को प्रो कबड्डी वाले कोच है जो गांव में जा-जाकर खुद बच्चों को चुनते हैं। इस साल प्रो कबड्डी में भी कुछ ऐसे नाम शामिल है।

जयदीप किसी बड़े लेवल पर नहीं खेला। उसने पिछले साल अयोध्या में नेशनल हुए थे उसमें डिफेंडर के तौर बहुत अच्छा खेला। दूसरा खिलाड़ी है मोहित वो भी जयदीप की टीम हरियाणा में है। तीसरा खिलाड़ी हैं विजेंदर चौधरी जो जयपूर की टीम में अभी खेलना शुरू किया है। इन तीनों को लाखों रुपये मिले। तीनों ने पहली बार ही प्रो कबड्डी लीग खेलना शुरू किया है। ये खिलाड़ी राज्य स्तर और नेशनल स्तर में अच्छा खेले इसलिए इन्हें प्रो कबड्डी में आने का मौका मिला।

कबड्डी के विस्तार के लिए क्या स्टार स्पोर्टस और कबड्डी एसोसिएशन क्या योजना बना रही है?

Sunil Taneja: स्टार स्पोर्टस कबड्डी के विस्तार के लिए लगातार योजना बनाते रहती है। स्टार स्पोर्टस ने केबीडी जूनियर और केबीडी जैसे प्रोग्राम भी आयोजित किए है। इस साल कोरोना के कारण बच्चों को इससे दूर रखा गया। वहीं कबड्डी एसोसिएशन न्यू यंग प्लेयर (NYP) को खोजते रहती है।

इसमें एसोसिएशन बहुत सारे कोचेज को सेलेक्ट करते है जो हर राज्य में जाकर बहुत सारे खिलाड़ियों को चुनते हैं। उसके बाद उनका अलग से कैंप लगाते है और उनके कैंप में प्रो कबड्डी के सारे कोच जाते है। वहां से वो नए प्लेयर्स को सेलेक्ट करते है। उनकी अलग से ऑक्शन होती है। नए प्लेयर्स को शामिल करने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है।

स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट बनने के लिए क्या करना होगा?

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Sunil Taneja

Sunil Taneja: स्पोर्टस जर्नलिस्ट बनने के लिए दो चीजे करनी होगी। एक तो कड़ी मेहनत और दूसरी ईश्वर से प्रार्थना करनी पड़ेगी। इन दोनों का ही अपना-अपना महत्व है। जो लोग इसकी पढ़ाई करके आते है तो उनके पास एक फायदा रहता है। जब आप जॉब के लिए अप्लाई करते हैं तो या तो आपकी डिग्री देखी जाती या आपका अनुभव। इसका भी अपना महत्व है। आप अगर इसकी पढ़ाई करते हैं तो जाहिर तौर पर आपको फायदा मिलेगा।

(लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट सहित अन्य मुद्दों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। इन्होंने पत्रकारिता के साथ-साथ खेल के मैदान पर भी नाम कमाया है।)

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