Saudi Arabia ने Yemen पर किया Airstrike, 70 की मौत, United Nations ने की निंदा

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Saudi-Led Airstrikes Kill Scores at a Prison in Yemen
Saudi-Led Airstrikes Kill Scores at a Prison in Yemen

सऊदी अरब (Saudi Arabia) द्वारा यमन (Yemen) के डिटेंशन सेंटर पर किए गए एयरस्ट्राइक (Airstrike) में 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। दर्जन भर लोग बुरी तह जख्मी है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने हमले की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (António Guterres) ने कहा कि इस तरह के हमलों पर लगाम लगाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि सऊदी अरब द्वारा यमन पर किए गए हमले की जांच होनी चाहिए। बता दें कि सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन की सेना हूति विद्रोहियों का खात्म करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। सेना 2015 से ही विद्रोहियों से लड़ रही है।

Saudi Arabia की हूती विद्रोहियों से लड़ाई

Saudi Arabia Airstrikes
Saudi Arabia Airstrikes

सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ एयरस्ट्राइक शुक्रवार को की थी। हमले में विद्रोहियों के मारे जाने की खबर है। एयरस्ट्राइक इतनी बड़ी थी कि यमन में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से ठप हो गई है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो हूती विद्रोहियों को ईरान से हथियार मिल रहा है। इन्हीं हथियारों और ड्रोन्स के दमपर वे अपने पड़ोसी देशों पर हमला कर रहे हैं। सबसे अधिक हमले संयुक्त अरब अमीरात में हो रहें हैं।

पर यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि सऊदी हूती विद्रोहियों को मारने के लिए एयरस्ट्राइक कर रहा है। इसका भुगतान आम जनता, सरकार को करना पड़ा रहा है। एयरस्ट्राइक में हुदैदा की एक साइट को निशाना बनाया गया। इस कारण पूरे यमन में इंटरनेट सर्विस बंद पड़ गई। सऊदी के हमले से यमन की सरकारी टेलिकॉम कंपनी टेलीयमन का एक कंट्रोल टॉवर बर्बाद हो गया।

Saudi Arabia की Airstrike में मारे जा चुके हैं इतने लोग

Saudi Arabia Airstrikes
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हूती विद्रोहियों और सऊदी की गठबंधन वाली सेना के बीच यह लड़ाई बहुत पुरानी है। दोनों की लड़ाई में अब तक 10,000 हजार से अधिक बच्चों सहित दसियों हजार नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और बड़ी आबादी अकाल और भूखमरी के कगार पर खड़ी है।

हूतियों का उदय 1980 के दशक में यमन में हुआ। यह यमन के उत्तरी क्षेत्र में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा आदिवासी संगठन है। हूती उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के विस्तार के विरोध में हैं। 2011 से पहले जब यमन में सुन्नी नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी, तब शियाओं के दमन की कई घटनाएं सामने आईं।

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