रक्षा मंत्री का दायित्व संभाल रहे अरुण जेटली की अध्यक्षता में कल हुई रक्षा खरीद परिषद् की बैठक में कई अहम् फैसले लिए गए हैं। इन फैसलों में नौसेना के लिए बराक मिसाइलें खरीदने का फैसला भी शामिल है। इस बैठक में 860 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई है। बराक मिसाइलों की जरुरत हिंद महासागर क्षेत्र में बदलते सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर भारत की समुद्री क्षमता को बढाने के लिए काफी अहम् है।

बराक मध्यम रेंज की सतह से आकाश में मार करने वाली मिसाइल है जो नौसेना के युद्धपोतों में लगाई जाती है। बराक-1 सतह से आकाश में मार करती है। ये मिसाइल नौसेना के युद्धपोतों में लगाई जाती है। बराक-1 मिसाइल को इजरायल की राफेल कंपनी से खरीदा जाएगा। कुल 100 बराक मिसाइलों की कीमत 500 करोड़ रुपए होगी। 100 मिसाइलें मिलने के बाद भारतीय  नौसना के लगभग सभी जहाज इससे लैस हो जायेंगे। बराक के अलावा समुद्र में बिछाए गए विस्फोटकों से निपटने के लिए अंडरवाटर रोबोट जैसे उपकरणों की खरीद के लिए एक्सेप्टेंश ऑफ नेसेसिटी को भी मंजूरी दी है। इस उपकरण को 311 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बाई ग्लोबल श्रेणी के साथ रिपीट आदेश के तौर पर खरीदा जा रहा है।

मनोहर परिकर के रक्षा मंत्री से हटकर गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार अरुण जेटली के जिम्मे है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जेटली ने अलगअलग खरीद प्रस्तावों का भी जायजा लिया और लंबित खरीद मामलों को तेजी से निपटाने के साथ करीबी निगरानी के लिए निर्देश जारी किया। गौरतलब है कि इसी साल जुलाई में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इजराइल के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरे का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इजराइल यात्रा है। प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले इस सौदे को मंजूरी मिलना भारत और इजराइल के रिश्तों को नए मक़ाम पर ले जाने में काफी अहम् साबित हो सकता है।

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