सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पद से पहलाज निहलानी को हटाकर लेखक एवं गीतकार प्रसून जोशी को नया अध्यक्ष बना दिया गया है। प्रसून जोशी फिल्म और कला की दुनिया में कोई नया नाम नहीं हैं। वह एक अच्छे हिन्दी कवि और लेखक होने के साथ-साथ पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार भी हैं।

बता दें कि पहलाज निहलानी जब तक सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहें तब तक विवादों से घिरे रहें। उनकी जरुरत से ज्यादा दखलंदाजी करना हमेशा ही बॉलीवुड को परेशान करती रही। फिल्मों में काटछांट और फिल्ममेकर्स के उत्पीड़न की शिकायतों की वजह से निहलानी कुख्यात हो चले थे। वहीं, बोर्ड की छवि रोड़ा अटकाने वाले संगठन के तौर पर बन गई थी।

वहीं सरकार द्वारा सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाए गए पहलाज निहलानी ने इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि वे सम्मान के साथ सरकार के इस फैसले को स्वीकार करते हैं। पहलाज ने माना कि उनको सरकार की ओर से इस फैसले की कोई सूचना नहीं मिली। पहलाज को खुद को हटाए जाने की सूचना मीडिया से मिली।

गौरतलब है कि कल सेंसर बोर्ड का पुनर्गठन हुआ। बोर्ड में अब बॉलीवुड ऐक्ट्रेस विद्या बालन, तमिल ऐक्टर गौतमी तड़ीमला और जीविता राजशेखर, लेखक नरेंद्र कोहली, डायरेक्टर प्रड्यूसर नरेश चंद्र लाल और विवेक अग्निहोत्री, अवॉर्ड विनिंग पियानो वादक व हिंदी म्यूजिक डायरेक्टर नील हरबर्ट, नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर वामन केन्द्रे, कन्नड़ फिल्म डायरेक्टर टीएस नागाभर्ना और डायलॉग राइटर मिहिर भूटा बतौर मेंबर शामिल हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आरएसएस विचारक रमेश पतंगे और पूर्व बीजेपी सेक्रटरी व थिएटर आर्टिस्ट वानी त्रिपाठी टिक्कू को तीन साल के लिए सीबीएफसी मेंबर बनाया है।

सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद प्रसून जोशी का कहना है कि  “मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा। मुझे एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस पर बहुत सारे लोगों के मैसेज भी आए। मैं कोई बहुत बड़ा आदमी नहीं हूं, अदना सा जीव हूं। बस कोशिश ही कर सकता हूं। मेरा सौभाग्य है कि कई अनुभवी लोगों को जानता हूं और मैं काफी सहनशील व्यक्ति हूं, तो सब बातों पर ध्यान देने का प्रयास करूंगा। जिस तरह मैंने हमेशा प्रयास किया है, आगे भी वैसे ही करता रहूंगा। अपने अनुभव और समझ के आधार पर कोशिश करूंगा कि अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाऊं।

हालांकि अभी यह देखना बाकी है कि प्रसून जोशी किसके नक्शे कदमों पर चलने वाले हैं, पहलाज निहलानी या फिर विजय आनंद जिन्होनें अपने रैडिकल निर्णयों से एक तरह से सरकारी महकमे में भूचाल ला दिया था जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी।

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