Poland पर Russia ने नहीं दागी थी मिसाइलें, जानिए NATO के बारे में जिसकी Missile हमले के बाद बुलाई गई आपातकालीन बैठक

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Poland पर Russia ने नहीं दागी थी मिसाइलें, जानिए NATO के बारे में जिसकी Missile हमले के बाद बुलाई गई आपातकाल बैठक - APN News
Poland Missile strike

युरोपीय देश पोलैंड (Poland) ने मंगलवार को कहा कि उनके देश में रूस में बनी 2 मिसाइलें (Missile) आकर गिरी हैं, जिसकी वजह से देश के लुबेल्स्की प्रांत के ह्रुबिजोव जिले के प्रेजवोडो गांव में उसके 2 नागरिकों की जान चली गई. वहीं, रूस (Russia) ने इस बात को लेकर साफ-साफ इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने पोलैंड में कोई भी मिसाइल नहीं दागी हैं ओर यह साजिश का हिस्सा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में बताया गया कि “राष्ट्रपति बाइडेन ने मामले को लेकर पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा के साथ फोन पर बात की है. अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा नाटो भी मामले की जांच कर रहा है.”

बाली में G-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने आए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कहा- पोलैंड में रूस की मिसाइलें गिरना संभव नहीं लगता है. बाइडेन ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ये मिसाइलें यूक्रेनी सैनिकों की जवाबी कार्रवाई के बाद पोलैंड में जाकर गिरी हैं.

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Biden with G20 and NATO Leaders to discuss the explosion in Eastern Poland near the Ukrainian border 1
Biden with G20 and NATO Leaders to discuss the explosion in Eastern Poland near the Ukrainian border

युक्रेन ने दागी थी मिसाइल

हालांकि अमेरिकी खुफिया एजंसियों के अधिकारियों ने कई मीडिया संगठनों को बताया कि ये मिसाइलें युक्रेन की ओर से रूस की मिसाइलों पर दागी गई थी. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि नाटो सदस्य देश पोलैंड के क्षेत्र में जो मिसाइलें गिरीं वह यूक्रेन की थीं. दरअसल, रूसी हमले को रोकने के लिए यूक्रेन ने भी मिसाइलें दागी थीं, जो पोलैंड की सीमा में जाकर गिरीं.

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क्यों चढ़ा हुआ है पारा?

इस समय दुनिया के सभी बड़े नेता G-20 की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए बाली, इंडोनेशिया में मौजूद हैं. नाटो के देश Poland में मिसाइल गिरने के बाद, G-20 में मौजूद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तुरंत आपातकाल बैठक बुलाई. इस बैठक के चलते G-20 के सभी कार्यक्रमों को एक घंटे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

रूसी हमलों के बाद पोलैंड ने बुलाई आपात बैठक

पोलैंड के PM माटुस्ज मोराविकी ने मिसाइल गिरने की खबरों के बाद आपात बैठक बुलाई है. सरकार के प्रवक्ता पिओतर मुलर ने कहा कि मामले की जांच जारी है. पोलैंड ने राजधानी वॉरसॉ में मौजूद रूसी राजदूत से भी इस घटना पर तत्काल स्पष्टीकरण मांगा गया है. उधर यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की बोले NATO देश पर हमला गंभीर मामला है और कहा कि रूस पर इस हमले को लेकर कार्रवाई होनी चाहिए.

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जांच जारी

अमेरिका ने कहा कि वह नाटो सदस्य पोलैंड में मिसाइल गिरने के मामले जांच कर रहा है. इसके साथ ही लगातार पोलिश अधिकारियों के साथ इस मामले को लेकर बातचीत भी जारी है. वहीं, नाटो के महासचिव स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि हम नाटो क्षेत्र के हर इंच की रक्षा करेंगे.

Biden on Poland Missile strike 1
Biden on Poland Missile strike

नाटो का अनुच्छेद 4?

यूरोपीय राजनयिकों ने बताया कि मिसाइलों के हमले के बाद पोलैंड की ओर से नाटो के अनुच्छेद 4 के अनुसार किए गए अनुरोध के तहत नाटो में शामिल सदस्य देशों के राजदूत आज इस मामले को लेकर बैठक करेंगे. नाटो के अनुच्छेद 4 के अनुसार, संगठन के सदस्य अपनी सुरक्षा से संबंधित चिंता का कोई भी मुद्दा उठा सकते हैं.

क्या है नाटो? (NATO)

ब्रुसेल्स, बेल्जियम स्थित उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) (North Atlantic Treaty Organization – NATO) दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ (Soviet union) के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा अप्रैल, 1949 की उत्तरी अटलांटिक संधि (जिसे वाशिंगटन संधि के नाम से भी जाना जाता है) के द्वारा स्थापित किया गया एक सैन्य गठबंधन है. अभी NATO में 30 सदस्य देश शामिल हैं. NATO एलाइड कमांड ऑपरेशंस का मुख्यालय मॉन्स, बेल्जियम में है.

NATO Leaders 1
NATO Leaders

कौन-कौन हैं NATO में शामिल?

इसके संस्थापक देशों में बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम (UK) और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) थे. इसके बाद मूल इसमें ग्रीस और तुर्की (वर्ष 1952), पश्चिम जर्मनी (वर्ष 1955, वर्ष 1990 से जर्मनी के रूप में), स्पेन (वर्ष 1982), चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (वर्ष 1999), बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, और स्लोवेनिया (वर्ष 2004), अल्बानिया और क्रोएशिया (वर्ष 2009), मोंटेनेग्रो (वर्ष 2017), और उत्तर मैसेडोनिया (North Macedonia) (वर्ष 2020) में इसके सदस्य देश के रूप में शामिल हुए. फ्रांस वर्ष 1966 में नाटो की एकीकृत सैन्य कमान (Joint Military Command) से हट गया लेकिन संगठन का सदस्य बना रहा, हालांकि वर्ष 2009 में ये नाटो की सैन्य कमान में वापस शामिल हुआ.

हाल ही में फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने के लिये आवेदन दिया है, लेकिन तुर्की के विरोध के चलते अभी इनको जगह नहीं मिल पाई है.

नाटो के उद्देश्य क्या हैं?

नाटो का आवश्यक और स्थायी उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य साधनों द्वारा अपने सभी सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा करना है. इसके राजनीतिक उद्देश्यों में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना और सदस्यों को समस्याओं को हल करने, विश्वास बनाने और लंबे समय में, संघर्ष को रोकने के लिये रक्षा और सुरक्षा से जुड़े हुए मुद्दों पर राय रखने और सहयोग करने में सक्षम बनाना है.

नाटो के सैन्य उद्देश्य में कहा गया है कि, संगठन विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये प्रतिबद्ध है. यदि किसी विवाद को रोकने के लिए राजनयिक प्रयास सफल नहीं हो पाते हैं, तो उसके पास संकट से निपटने के लिए अभियान चलाने की सैन्य शक्ति होती है.

नाटो द्वारा सैन्य विकल्प का इस्तेमाल नाटो की संस्थापक संधि के सामूहिक रक्षा खंड के तहत किये जाता है, इसको लेकर कहा गया है कि ये वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 या संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत, अकेले या अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से सैन्य कार्रवाई कर सकता है.अब तक के नाटो के इतिहास में अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 के हमलों के बाद 12 सितंबर, 2001 को नाटो ने केवल एक बार अनुच्छेद 5 को लागू किया है.

नाटो को धन उसके सदस्यों द्वारा दिया जाता है. नाटो के बजट में अमेरिका का हिस्सा लगभग 75 फीसदी है.

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