Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों का 30 साल का इंतजार खत्म, जमीन का हक दिलाने के लिए हरियाणा सरकार ने “मिशन वचनपूर्ति” का किया शुभारंभ

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MCD Election 2022: सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो)
MCD Election 2022: सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो)

Kashmiri Pandit: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्ष 1991 से 1993 तक झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के सेक्टर -2 में कश्मीरी पंडितों के परिवारों द्वारा खरीदी गई जमीन का हक उन्हें देने के लिए मिशन ‘वचनपूर्ति’ की घोषणा की। इससे अब इन परिवारों का तीन दशक लंबा इंतजार खत्म होगा और ऐसे 182 परिवारों को प्लॉट का आवंटन किया जाएगा।

Kashmiri Pandit: मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस पर बोला हमला

Kashmiri Pandit
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुवार को चंडीगढ़ में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान मिशन ‘वचनपूर्ति’ की ऐतिहासिक घोषणा किया। इस दौरान कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किए गए कुछ लाभार्थियों को मालिकाना हक के कागजात सौंपे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के इतिहास में आज का दिन बड़ा ही ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि 1991 -1993 के दौरान कांग्रेस के कार्यकाल में जमीन खरीदने वाले कश्मीरी पंडितों के परिवारों का इंतजार आखिरकार आज खत्म हो गया है।

इन 30 वर्षों में इन परिवारों ने अपनी जमीन पाने की उम्मीद लगभग खो ही दी थी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 में कुछ उपयुक्त संशोधन करने के बाद, कुछ भूखंड कश्मीरी पंडितों के पक्ष में जारी किए गए थे। लेकिन जिन परिवारों को उस समय जमीन नहीं मिली उन्हें करीब तीन दशक तक इंतजार करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल, 2022 को, उस समय दर्ज किए गए जमीन के माप के सत्यापन के बाद, ड्रा के माध्यम से उन्हें इस हक की अदाएगी की गई और आज 182 परिवारों को मालिकाना हक के कागजात सौंपे गए हैं।

Kashmiri Pandit: पंडितों ने कहा शुक्रिया

Kashmiri Pandit
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इसके अलावा, कुछ परिवारों को उनकी जमीन पहले ही मिल चुकी है। इस प्रकार, आज तक इस पूरी प्रक्रिया के माध्यम से कुल 209 परिवारों को प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए वचन की पूर्ति की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वचनपूर्ति मिशन विपक्ष के उन दावों का करारा जवाब है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान राज्य सरकार ने कश्मीरी पंडितों के परिवारों को दी जाने वाली 5000 रुपये की वित्तीय सहायता रोक दी है।

कार्यक्रम में उपस्थित एक लाभार्थी ने लगभग 30 साल पहले खरीदी गई जमीन का हक उन्हें दिलाने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि वर्ष 1990 में उनके खिलाफ हुए अत्याचारों के कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था और 1991-92 में हम बहादुरगढ़ आए। यहां आने के बाद, हमने अपने जीवन को फिर से शुरू करने की उम्मीद में जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा खरीदा, लेकिन हमें इसका कब्जा लेने में ही लगभग तीन दशक लग गए।

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