JNU की नई रूल बुक को लेकर बवाल: जहां लगते थे ‘आजादी’ के नारे वहां अब धरना देने पर भी जुर्माना

JNU: नई रूल बुक के मुताबिक 17 गतिविधियां दंडनीय हैं जिनमें कामकाज में रुकावट पैदा करना, जुआ खेलना, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा करना और अपमानजनक भाषा का उपयोग और जालसाजी करना शामिल है।

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JNU: चर्चा की संस्कृति वाले जेएनयू में अब विरोध पर भी लगेगा जुर्माना——-जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अब छात्रों को धरना देने पर 20 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं हाथापाई करने पर छात्रों का प्रवेश रद्द या 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। दरअसल 10 पन्नों की नई रूल बुक छात्रों को ‘अनुशासित करने और उनका आचरण सुधारने के लिए’ लाई गई है। नए नियमों के मुताबिक अब विरोध प्रदर्शन करने के लिए दंड और प्रॉक्टोरियल जांच और बयान दर्ज करने का प्रावधान किया गया है।

गौरतलब है कि जेएनयू चर्चा और कई मसलों पर बात करने की संस्कृति के लिए जाना जाता है। ये सिर्फ यूनिवर्सिटी नहीं है बल्कि वैचारिक मंथन का केंद्र है। जेएनयू की ख्याति इसलिए भी है क्योंकि इसके पूर्व छात्रों में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हैं। इसके अलावा दिग्गज वामपंथी नेता सीताराम येचुरी और प्रकाश करात भी इस विश्वविद्यालय से आते हैं। पत्रकार पी साईनाथ और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी भी पूर्व छात्रों की सूची में आते हैं।मालूम है कि कुछ दिन पहले विश्वविद्यालय में बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। अब इस नई रूल बुक को यूनिवर्सिटी प्रशासन की एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा लाया गया है।

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JNU: दस्तावेज “अदालत के मामलों” के लिए तैयार किया

JNU: हालांकि, काउंसिल के सदस्यों का कहना है कि इस मुद्दे को एक अतिरिक्त एजेंडा आइटम के रूप में लाया गया था और यह उल्लेख किया गया था कि यह दस्तावेज “अदालत के मामलों” के लिए तैयार किया गया है।

दिलचस्प बात ये है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समेत सभी छात्र संगठन नई रूल बुक को ‘तुगलकी’ करार दे रहे हैं। नई रूल बुक के मुताबिक 17 गतिविधियां दंडनीय हैं जिनमें कामकाज में रुकावट पैदा करना, जुआ खेलना, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा करना और अपमानजनक भाषा का उपयोग और जालसाजी करना शामिल है। नियमों में यह भी उल्लेख है कि शिकायतों की एक प्रति माता-पिता को भी भेजी जाएगी। इसके अलावा शिक्षकों और छात्रों दोनों से जुड़े मामलों को विश्वविद्यालय, स्कूल और केंद्र स्तर की शिकायत निवारण समिति को भेजा जा सकता है।

JNU: वैमनस्य पैदा करने वाले मामले चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय के दायरे में

JNU: यौन शोषण, छेड़खानी, रैगिंग और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने वाले मामले चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय के दायरे में आएंगे। चीफ प्रॉक्टर रजनीश मिश्रा के मुताबिक, ”क़ानून में नियमों का उल्लेख था। हालांकि नए नियम प्रॉक्टोरियल जांच के बाद तैयार किए गए हैं।”

नई रूल बुक में हिंसा और जबरदस्ती के सभी कृत्यों जैसे घेराव, धरना-प्रदर्शन के लिए दंड का प्रस्ताव किया है जो कि शैक्षणिक और प्रशासनिक कामकाज को बाधित करते हों या कोई भी कार्य जो हिंसा को उकसाते हों या उसकी ओर ले जाते हों। दंड में “प्रवेश रद्द करना या डिग्री वापस लेना या एक अवधि के लिए पंजीकरण से इनकार करना, चार सेमेस्टर तक का निष्कासन या जेएनयू से निष्कासन, ₹ 30,000 तक का जुर्माना शामिल है।”

वहीं यदि मामला अदालती है, तो मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय अदालत के आदेश और निर्देश के अनुसार कार्रवाई करेगा। नई रूल बुक के अनुसार शिकायत प्राप्त होने के बाद, मुख्य प्रॉक्टर द्वारा इसकी जांच की जाएगी। इसके बाद, मामले की गहन जांच करने के लिए या तो एक/दो/तीन सदस्य प्रॉक्टोरियल जांच समिति बनाई जाएगी।

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