माखनचोर, कन्हैया, नंदगोपाल, राधे, देवकीनंदन, द्वारिकाधीश, गोपाल आदि लगभग 108 नाम हैं भगवान श्रीकृष्ण के। इन नामों का जाप करने से मन और तन दोनों शांत रहते हैं और बुद्धि त्रीव होती है। वैसे अगर देखा जाए तो सबसे प्राचीन रणनीतिकारों और राजनीतिकारों में भगवान श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले आएगा। उन्होंने अहिंसा और हिंसा दोनों का पाठ पढ़ाया और यह जताया कि अगर सत्य और अच्छाई पर विजय पाने के लिए हिंसा की भी जरूरत पड़े तो उसे अपनाने में कोई गुरेज नहीं करना चाहिए। बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार अद्भुत संयोग है। आज से 5245 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उस वक्त उनकी कुंडली में जो ग्रहदशाएं थीं, उनमें से इस बार पांच हू-ब-हू हैं। जन्माष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र का योग 2 सितंबर को मिल रहा है। हालांकि मथुरा में 3 सितंबर यानी सोमवार को ही जन्माष्टमी होगी।

पंचांगों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है जो द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय बना था। जन्माष्टमी भी दो दिन मनाई जाएगी। स्मार्त मतानुसार 2 सितंबर को और वैष्णव मतानुसार 3 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म जैसा यह संयोग 2 सितंबर को बन रहा है। भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था। इस बार जन्‍माष्‍टमी आज के साथ-साथ कल भी मनाई जाएगी।

इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी। अष्‍टमी तिथि प्रारंभ का समय  2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट तक है। वहीं अष्‍टमी तिथि समाप्‍ति का समय 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट पर है। रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ का समय 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट पर है। वहीं रोहिणी नक्षत्र समाप्‍ति का समय 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट पर है।

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