Jal Samvad: जल संवाद में बोले Waterman डॉ.राजेंद्र सिंह- नदी, तालाब और बावड़ियों को सहेजने का करें प्रयास

Jal Samvad: वाटरमैन डॉ.राजेंद्र सिंह ने कहा कि हम नदियों का निरंतर दोहन करते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नदियां नालों में तब्दील होती जा रही हैं, जबकि जरूरत नदियों को नालों से मुक्त करने की है।

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Jal Samvad: राजधानी दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चांदनी चौक स्थित चरती लाल गोयल हेरिटेज पार्क में सामाजिक संस्था सम्पूर्णा के तत्वावधान में जल साक्षरता अभियान के अंतर्गत ‘जल संवाद कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता प्रख्‍यात पर्यावरणविद् जल पुरुष (Waterman) डॉ.राजेंद्र सिंह एवं जल आयोग के सलाहकार दीपक पर्वतियार शामिल हुए।

इस मौके पर सम्पूर्णा की संस्थापिका अध्यक्षा डॉ. शोभा विजेन्द्र ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। नारी की सुरक्षा हो जल का संरक्षण हो, के उच्चारण के साथ अतिथियों ने दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर जल संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जल पुरुष डा राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सदैव नदियों, तालाबों, पोखर और बावड़ियों का उपहार दिया। हमें इन्‍हें हर हाल में सहेजना होगा।

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Jal Samvad: जलसंरक्षण बेहद जरूरी

वाटरमैन डॉ.राजेंद्र सिंह ने कहा कि हम नदियों का निरंतर दोहन करते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नदियां नालों में तब्दील होती जा रही हैं, जबकि जरूरत नदियों को नालों से मुक्त करने की है। धरती मां की हरियाली को बढ़ाने के लिए नदियों के साथ पोखर, तालाब, बावड़ियों और अन्य जल कुंडों को भी संरक्षित किए जाने की भी आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि नदी के पुनर्जन्म का काम महज नदी का काम नहीं है, बल्कि यह लोगों के पुनर्जीवन का सवाल है। ये तभी संभव है जब हम प्रकृति को अपने जीवन से जोड़ेंगे।

हमें, हमारी सोच को प्रकृति के साथ जोड़ना होगा। हमें लोगों को मौसम पर आश्रित बनने से रोकना होगा। मुझे सम्पूर्णा जल मित्रों और उपस्थित लोगों से अपेक्षा है, कि नदियों को नदी बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।

Jal Samvad: पानी की कीमत को समझें और दूसरों को भी समझाने का भरपूर प्रयास करें, जल संरक्षण और हरियाली से ही धरती पर जीवन संभव है। इस मौके पर उन्होंने सम्पूर्णा के इस प्रयास की सराहना की।

गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि हमें जल सारक्षता को बढ़ावा देना होगा। हर स्तर पर जल संरक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। ‘जल, पोखर और तालाब को जानों’ जैसे विषयों पर कार्यक्रम होने चाहिए।

Jal Samvad: ‘जल है तो कल है’, साकार करने के लिए लोगों को जल के व्यावहारिक अभ्यास के लिए जागरूक करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। शिक्षा के साथ-साथ पर्यवरण एवं जल संरक्षण के लिए बच्चों को जागरूक करने की जरूरत पर भी जोर दिया।

Jal Samvad: जल मित्रों को प्रोत्‍साहित करें

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Jal Samvad: दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं रोहिणी के विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि मानवता के अस्तित्व के लिए जल अति आवश्यक है। पानी केवल पानी ही नहीं बल्कि हमारे जीवन की प्रतिष्ठा है।

उन्होंने कहा कि जल एवं मिट्टी को हम मशीनों से तैयार नहीं कर सकते। ये प्रकृति की देन है जिसे हमें संजोकर रखना चाहिए।जल संरक्षण और हरियाली से ही मानव जीवन संभव है।

हमें अपने घरों से ही हो रही पानी की बर्बादी को रोकने का हर संभव प्रयास करना होगा। आज जल संरक्षण की महत्ता को समझाने की दिशा में समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

उन्होंने दिल्ली सरकार से भी अनुरोध किया कि जल संरक्षण पर कार्य करने के लिए आवासीय कल्याण समितियों, एनजीओ तथा अन्य संस्थाओं को धनराशि उपलब्ध कराएं। साथ ही जल मित्रों के प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

Jal Samvad: 252 जल स्‍तोत्र अतिक्रमण की चपेट में

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जल आयोग के सलाहाकार श्दीपक पर्वतियार ने भी जल संरक्षण पर अपने विचार साझा किए।सम्पूर्णा की संस्थापिका अध्यक्षा डा. शोभा विजेन्द्र ने बताया कि जल वैज्ञानिकों के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2030 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जलविहीन हो जाएगी।

दिल्ली में परंपरागत रूप से पाए जाने वाले तालाब, ताल और बावड़ियां लुप्त हो चुके हैं। मुख्य शहर को छोड़ दें तो दिल्ली के गांवों में भी आज तालाब, ताल और बावड़ियां उपलब्ध नहीं हैं।

वैटलैंड अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार 252 जल स्त्रोत आज पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में हैं। इस मौके पर जल संरक्षण से जुड़ी एक लघुनाटिका की जल मित्रों ने प्रस्तुति दी।देश के विभिन्न प्रांतों के 750 जिलों से आए सभी जल मित्रों ने इस जल संवाद कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर जल मित्रों के साथ-साथ उपस्थित जनसमूह ने सम्पूर्णा जल प्रतिज्ञा के रूप में मृत प्रायः होती मिट्टी की नमी पुनः लौटाने का संकल्प लिया। अंत में सभी ने नारी का संरक्षण हो, जल का संचयन हो, के नारे भी लगाए।

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