आज के दिन 14 सितंबर (14 September) को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषी क्षेत्रों सहित पूरे भारत के लिए यह दिन काफी खास रहता है। हिंदी दिवस के दिन ही हमें हिंदी भाषा के महत्व का पता चलता है। हिंदी क्यों जरूरी है, यह भी इसी दिन पता चलता है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। उसके बाद से अब तक हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को महत्व के साथ याद करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अंग्रेजों से आजाद होने के बाद यह देशवासियों की स्वाधीनता की एक निशानी का प्रतीक भी है।
हिंदी दिवस को लेकर क्या रहा हैं इतिहास
1947 में जब भारत आजाद हुआ तब देश की राजभाषा किस भाषा को चुना जाए, यहीं सबसे बड़ा मुद्दा था। काफी विचार विमर्श के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुन लिया गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी। हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। भारत हमेशा से विविधताओं का देश रहा है। भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया था। पर पहला हिंदी दिवस को मनाने में 4 साल लग गए। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।
राजभाषा के तौर पर अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को चुने जाने पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था। तमिलनाडु में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे भी होने लगे थे। जबकि 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी। गांधी जी ने ही हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा था।
कई स्कूल और कॉलेज में इस दिन के महत्व को प्रदर्शित करने और भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। भारत के राष्ट्रपति दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में भाषा में योगदान के लिए लोगों को सम्मानित भी करते हैं।
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