आरक्षित वर्ग की सीटों में कट ऑफ मेरिट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला दिया है। कोर्ट के सामने मामला यह था कि ऐसी स्थिति में जब  आरक्षित वर्ग में निर्धारित सीटें खाली रह जाती हैं क्योंकि उस वर्ग के छात्र लिखित परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं तो क्या सीटें भरने के लिए कट ऑफ मेरिट को कम किया जा सकता है? इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा नहीं किया जा सकता।

जस्टिस सिद्धार्थ का कहना था कि सिर्फ किसी खास श्रेणी के लिए रिज़र्व सीटों को भरने के लिए कट ऑफ मेरिट को कम नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि जब एक बार छात्र ने एक खास चयन प्रक्रिया में हिस्सा ले लिया, उसे स्वीकार कर लिया और फिर उस चयन प्रक्रिया के बाद वह फेल हो जाता है तो वह फेल होने पर उस चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता।

दरअसल भुवेश पचौरी नाम के शख्स ने कट ऑफ मेरिट को कम करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की था। भुवेश पचौरी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित सामान्य वर्ग के हैं उन्होंने उत्तर प्रदेश जल निगम में जूनियर इंजीनियर के पद के लिए हुई लिखित परीक्षा दी लेकिन वह इसमें पास नहीं हो पाए जिसके बाद उन्होंने कट ऑफ मेरिट को कम करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

भुवेश पचौरी ने तीन अक्तूबर 2013 को उत्तर प्रदेश जल निगम में जूनियर इंजीनियर के पद हेतु निकले विज्ञापन के आधार पर आवेदन भरा था। 2014 में उसने इस पद के लिए लिखित परीक्षा दी। परिक्षा का परिणाम आने के बाद जल निगम ने स्वतंत्रता सेनानी आश्रित सामान्य वर्ग के तहत सिर्फ पांच अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जिसमे भुवेश शामिल नहीं था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका लगाई, याचिकाकर्ता के वकील क्षितिज शैलेंद्र ने कहा कि कुल 469 पदों का विज्ञापन निकाला गया था और कम से कम 2% पद स्वतंत्रता सेनानी आश्रित कोटे के तहत आरक्षित किए जाने चाहिए थे। इस हिसाब से नौ पद सेनानी आश्रित कोटे में आरक्षित होने चाहिए, लेकिन सिर्फ पांच पदों के लिए ही साक्षात्कार लिया गया।

उत्तर प्रदेश जल निगम ने इस पर कोर्ट में अपना जवाब पेश किया, निगम ने कहा कि साक्षात्कार के लिए कट ऑफ मेरिट 42 अंक रखी गई थी लेकिन याचिकाकर्ता को परिक्षा में सिर्फ 34 अंक मिले जिस वजह से उसे साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। बचे हुए चार पद इसलिए खाली रह गए क्योंकि इस श्रेणी के बाकी अभ्यर्थियों के अंक निर्धारित अंकों से कम थे। यू.पी. लोक सेवा (शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए आरक्षण, स्वतंत्रता सेनानियों और पूर्व सैनिकों के आश्रितों) अधिनियम, 1997 की धारा 3 (5) के मुताबिक, जब मानदंड़ों के अनुसार उम्मीदवार नहीं मिलते हैं तो खाली बचे पदों को अगली भर्ती में शामिल किया जाता है। इस पर याचिकाकर्ता का कहना था कि अगर कट ऑफ मेरिट को कम कर दिया जाए तो इस श्रेणी के बाकी पदों को भी भरा जा सकता है। इसी पर हाईकोर्ट ने कहा की ऐसा नहीं किया जा सकता है और याचिका को खारिज कर दिया।

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