छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार सुबह राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के बाद मुख्यमंत्री ने परेड की सलामी ली, गणतंत्र दिवस पर किसानों की 207 करोड़ रूपए की बकाया राशि माफ करने का ऐलान करते हुए कहा कि इससे राज्य के लगभग 15 लाख किसानों को राहत मिलेगी। बघेल ने आज राजधानी के पुलिस परेड ग्राउण्ड में वर्षा के बीच आयोजित मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि रबी फसल लेने वाले किसानों को कोई तकलीफ नही हो इसलिए रबी के लिए बंद पड़ी सिंचाई सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पुनः प्रारंभ करने का निर्णय भी लिया है।उन्होने कहा किसानों को कर्ज के कुचक्र से मुक्ति दिलाए बिना उनकी और गांवों की स्थिति सुधारी नहीं जा सकती। इसलिए हमने मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में 16 लाख 65 हजार किसानों का लगभग 6230 करोड़ रूपए का अल्पकालिक कृषि ऋण माफ कर दिया।

उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान के कटोरे के रूप में सम्मान दिलाने वाले अन्नदाताओं का यह हक है कि उन्हें धान का सम्मानजनक दाम मिले। हमने मंत्रि-परिषद् की पहली बैठक में प्रदेश के किसानों से 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा पूरा किया। केन्द्रीय पूल में चावल खरीदी की मात्रा बढ़ाने का निवेदन भारत सरकार से किया गया है, लेकिन हमारी मांग नामंजूर होने की स्थिति में भी राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियां निभाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि से संबंधित समस्त योजनाओं का लक्ष्य अन्नदाताओं का स्वावलंबन और खुशहाली हो। इसलिए कृषि विभाग का नाम बदलकर ‘‘कृषि विकास, किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग’’ किया गया है जिससे किसान कल्याण का लक्ष्य सदा हमारी नजरों के सामने रहे।तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर चार हजार रूपए करने का निर्णय लिया गया है।

बघेल ने 2013 की झीरम घाटी की दुःखदायी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इससे पीड़ित परिवारों को शीघ्र न्याय दिलाने की दिशा में मजबूत कदम उठाते हुए एस.आई.टी.जांच की घोषणा की गई है।राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अन्याय का सबब बन गई थी और इसका संचालन करने वाली संस्था नागरिक आपूर्ति निगम (नान) की कार्यप्रणाली को लेकर अनेक प्रश्नचिन्ह लगे थे, इसलिए हमने ’’नान घोटाले’’ की एस.आई.टी. जांच की घोषणा की।

उन्होने जिला खनिज संस्थान न्यास की समीक्षा करने का ऐलान करते हुए कहा कि इस निधि में नवम्बर 18 तक 3336 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ और 2400 करोड़ रूपए की राशि खर्च की गई। वास्तव में यह राशि एक तरह से खनन प्रभावित आबादी को हुई क्षति की भरपाई के लिए थी, लेकिन इसका उपयोग काफी गैर जिम्मेदारी से किया गया।इसलिए हमने इस पूरे मामले की समीक्षा का निर्णय लिया है और अनावश्यक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है ताकि जनता का पैसा जनहित में इस्तेमाल किया जा सके।

उन्होंने कहा कि हमने वायदा किया था कि चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे तथा ऐसे निर्दोष स्थानीय युवाओं के खिलाफ दर्ज प्रकरण वापस लेंगे जो अभिकर्ता के रूप में इन कम्पनियों से जुड़े थे। अगले एक माह में यह कार्यवाही पूर्ण कर ली जाएगी।उन्होने कहा कि कम आय वाली जनता को अपनी ही छोटी-छोटी सम्पत्तियों के क्रय-विक्रय से वंचित किए जाने जैसे प्रकरण पर हमने तत्काल कदम उठाया और पांच डिसमिल से कम भू-खण्डों की खरीदी, बिक्री, हस्तांतरण, पंजीकरण से रोक हटा दी। जमीन के डायवर्सन की प्रक्रिया का भी सरलीकरण किया जा रहा है।

बघेल ने अपनी सरकार के लोहण्डीगुड़ा एवं प्रभावित 10 गांवों के आदिवासी किसानों की 1764 हेक्टेयर से अधिक जमीन वापस करने का जिक्र करते हुए कहा कि यहां वृहद उद्योग लगाने के लिए 17 सौ से अधिक किसानों की जमीन अधिग्रहित कर ली। दस सालों में न उद्योग लगा, न किसानों को जमीन वापस मिली और न ही आदर्श पुनर्वास कानून का पालन हुआ। संस्था ने उद्योग लगाने से असहमति जाहिर कर दी, लेकिन आदिवासी किसानों को उनकी जमीन वापस नहीं की गई। हमने सरकार में आते ही प्रभावित 10 गांवों के 1764 हेक्टेयर से अधिक जमीन वापस करने का निर्णय लिया।

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