Bihar Liquor Ban: बिहार में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसको लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष भी नीतीश कुमार पर हमलावर नजर आ रहा है। फिलहाल सारण जिले में 50 से अधिक लोगों की जहरीली शराब के सेवन से मौत हो चुकी है। वहीं, सीवान जिला में भी जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत दर्ज कर ली गई है। आपको बता दें, बिहार में शराब पूरी तरह से बैन है। यहां शराब प्रतिबंधित करने के लिए कई कानून पारित किए गए हैं।
लगातार आ रही रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी इस पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है। थाने में दर्ज रिपोर्ट बताती है कि लगातार बिहार के कई जिलों में शराब जब्त की जा रही है। इतना ही नहीं, थोड़े से अंतराल पर ही कई जिलों में जहरीली शराब के सेवन से कई लोगों की मौत की खबर भी सामने आती है। यहां तक कि यदि कोई शराब पीते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है। इस खबर में हम आपको बिहार में शराब को लेकर क्या स्थिति है उसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
Bihar Liquor Ban: बिहार में कब से लागू है शराबबंदी?
बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने साल 2016 में ही शराब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था। दरअसल, जनवरी और फरवरी में भी शराब को बंद कर दिया गया था लेकिन ये दोबारा शुरू हो गया जिसे देखने के बाद सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब को पूरी तरह से बंद कर दिया और इसको लेकर कानून भी बना दिया। हालांकि, समय और स्थिति के अनुसार इस कानून में संशोधन भी किए गए थे।
Bihar Liquor Ban: बिहार में शराब पीने पर क्या है सजा?
बिहार में शराबबंदी कानून तोड़े जाने पर पहले काफी सख्ती से निपटा जाता था लेकिन इसी साल इसमें ढील दी गई है। दरअसल, 1 अप्रैल 2022 को बिहार मद्य निषेद्य और उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी मिल गई है। इसे संशोधित करने के बाद इसमें काफी ढील दे दी गई थी। आपको बता दें, फिलहाल शराबबंदी कानून में धारा 37 ए, बी और सी धाराओं को मिलाकर धारा 37 कर दिया गया है।
इसके तहत शराब पीते पकड़े जाने पर दो से पांच हजार रुपये का जुर्माना और तीस दिनों के कारावास की सजा होगी। इसी के साथ उसे एक शपथ पत्र भी दिया जाएगा। वहीं, अगर दूसरी बार शराब पीते पकड़े जाते हैं तो एक साल के कारावास की भी सजा का प्रावधान है।
संशोधित कानून के मुताबिक यदि किसी घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान या वाहन में शराब पाया जाता है तो इसके खिलाफ एक्शन के लिए संबंधित थाने द्वारा जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अधिग्रहण और नीलामी की मांग की जाती है।
Bihar Liquor Ban: बिहार में शराबबंदी का क्या असर हुआ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार में शराबबंदी से कुछ सकारात्मक असर होता है तो वहीं कुछ नकारात्मक असर भी हुआ है। आपको बता दें, शराबबंदी होने के बाद से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा काफी कम हो गई है। वहीं देखा जा रहा है कि सस्ती और चोरी छिपे मिलने वाली शराब की तरफ लोगों का झुकाव हो रहा है जिससे लोगों की मौत का आंकड़ा भी काफी बढ़ने लगा है।
साल 2020 में नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में इस बात की पोल खुल गई कि आखिर बिहार में शराबबंदी कितनी कारगर है। सर्वे के अनुसार बिहार में इस समय ग्रामीण क्षेत्र में 14 फीसदी तो शहर में 15 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं। यानी हम सरल भाषा में कह सकते हैं कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में शराबी और शराब तस्करों पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम है।
Bihar Liquor Ban: शराबबंदी कानून को लेकर अपनों से ही घिरे नीतीश
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साल 2016 में शराबबंदी लागू की थी लेकिन अब वो इस कानून को लेकर काफी अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। दरअसल, जिस दौरान शराबबंदी लागू की गई थी उस समय बिहार में बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन की सरकार थी। वहीं, अब बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राजद के साथ गठबंधन कर लिया है। ऐसी स्थिति में देखा जा रहा है कि लगातार नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को लेकर उनका विरोध किया जाता रहा है। अब परेशानी कुछ यूं है कि नीतीश कुमार पर केवल बाहरी नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से भी शराबबंदी कानून को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
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